Hindi, asked by somangkim29, 11 months ago

creative writing on pollution in hindi

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Answered by Snehaalmale
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Answer:

प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है | पिछले कुछ दशकों में प्रदूषण जिस तेजी से बढ़ा है उसने भविष्य में जीवन के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया है | संसार के सारे देश इससे होनेवाली हानियों को लेकर चिंतित है | संसार भर के वैज्ञानिक आए दिन प्रदूषण से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित करते रहते हैं और आनेवाले खतरे के प्रति हमें आगाह करते रहते हैंआज से कुछ दशकों पहले तक कोई प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से नहीं लेता था | प्रकृति से संसाधनों को प्राप्त करना मनुष्य के लिए सामान्य बात थी | उस समय बहुत कम लोग ही यह सोच सके थे कि संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग हानि भी पहुँचा सकता है | हम जितना भी प्रकृति से लेते, प्रकृति उतने संसाधन दोबारा पैदा कर देती | ऐसा लगता था जैसे प्रकृति का भंडार असीमित है, कभी ख़त्म ही नहीं होगा | लेकिन जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ने लगी, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बढ़ता गया | वनों को काटा गया, अयस्कों के लिए जमीनों को खोदा गया | मशीनों ने इस काम में और तेजी ला दी | औद्योगिक क्रांति का प्रभाव लोगों को पर्यावरण पर दिखने लगा | जंगल ख़त्म होने लगे | उसके बदले बड़ी-बड़ी इमारतें, कल-कारखाने खुलने लगे | इससे प्रदूषण की समस्या हमारे सर पर आकर खड़ी हो गई |

आज प्रदूषण के कारण शहरों की हवा इतनी दूषित हो गई है कि मनुष्य के लिए साँस लेना मुश्किल हो गया है | गाड़ियों और कारखानों से निकलनेवाला धुआँ हवा में जहर घोल रहा है | इससे तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है | देश की राजधानी दिल्ली में तो प्रदूषण ने खतरे का निशान पार कर लिया है | कारखानों से निकलनेवाला कचरा नदियों और नालों में बहा दिया जाता है | इससे होनेवाले जलप्रदूषण के कारण लोगों के लिए अब पीने लायक पानी मिलना मुश्किल हो गया है | खेत में खाद के रूप में प्रयोग होनेवाले रासायनिक खादों ने खेत को बंजर बनाना शुरू कर दिया है | इससे भूमि प्रदूषण की समस्या भी गंभीर हो गयी है | इस तरह प्रदूषण तो बढ़ रहा है किंतु प्रदूषण दूर करने के लिए जिन वनों की जरुरत है वो दिन-ब-दिन कम हो रहे हैं |

प्रदूषण के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है | ओजोन लेयर में कई छेद हो चुके हैं | नदियों और समुद्रों में जीव-जंतु मर रहे हैं | कई देशों का मौसम बदल रहा है | कभी बेमौसम बरसात हो रही है तो कभी बिलकुल वर्षा नहीं हो रही | इससे खेती को बहुत नुकसान हो रहा है | ध्रुवों की बर्फ पिघल रही है, जिससे समुद्र के किनारे जो देश और शहर हैं, उनके डूबने का खतरा बढ़ गया है | हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं | जिससे गंगा, यमुना और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों के लुप्त होने की संभावना आ गई है |

ऐसे गंभीर समय में यह आवश्यक हो गया है कि संसार के सारे देश मिलकर प्रदूषण की इस समस्या पर लगाम लगाए | उद्योगों के लिए प्रकृति को नष्ट नहीं किया जा सकता | जब जीवन ही खतरे में पड़ रहा है तो जीवन को आरामदायक बनानेवाले उद्योग क्या काम आएँगे | अभी हाल ही में (१२ दिसंबर २०१५) संसार के १९६ देश प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस में इकट्ठे हुए थे | सबने मिलकर यह निश्चय किया है कि धरती के तापमान को मौजूदा तापमान से दो डिग्री से ज्यादा बढ़ने नहीं दिया जाएगा | देर से ही सही पर यह सही दिशा में बढाया हुआ कदम है | यदि इसपर वास्तव में अमल किया गया तो पेरिस अधिवेशन मनुष्य जाति के लिए आशा की स्वर्णिम किरण साबित होगी | उम्मीद है कि हम पर्यावरण की रक्षा के लिए सही कदम उठाएँगे और आनेवाली पीढ़ी को प्रदूषण के दुष्परिणामों से बचाएँगे 

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Answered by ayushi5540
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Explanation:

भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में प्रदूषण एक बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा है जिसके बारे में हर किसी को पता होना चाहिए। माता-पिता को प्रदुषण के प्रकार, कारण और रोकथाम के बारे में पता होना चाहिए ताकि वो

अपने बच्चो को इसके बारे में बता सके।Hey mate you can search more on gooogle and please mark as brainlies

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