cristaliye thos ke prakaar
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क्रिस्टलीय ठोसों को उनके अवयवी कणों के मध्य पाए जाने वाले अन्तराण्विक बल के आधार पर चार भागों में वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है –
1. आण्विक ठोस (Molecular Solids)
2. आयनिक ठोस (Ionic Solids)
3. धात्विक ठोस (Metallic Solids)
4. सहसंयोजक ठोस (Network or Covalent Solids)
1. आण्विक ठोस (Molecular Solids)
आणविक ठोसों में अवयवी कण अणु होते है , किसी भी आण्विक ठोस में अणु आपस में पास पास और एक व्यवस्थित रूप में होते है। इन कणों के मध्य एक दुर्बल बल कार्य करता है जैसे वांडरवाल बल। इस प्रकार के ठोसों में अणु अपनी पुनरावर्ती करते है।
उदाहरण : फोस्फोरस , सल्फर , क्लोरिन , तथा आर्गन आदि आण्विक ठोसों के उदाहरण है क्यूंकि इस ठोसों में अवयवी कण अणु होते है।
2. आयनिक ठोस (Ionic Solids)
यह क्रिस्टलीय ठोसों का दूसरा प्रकार है , वे क्रिस्टलीय ठोस जिनमें अवयवी कण आयन होते है उन्हें आयनिक ठोस कहते है। याद रखे कि आयनिक कण वे होते है जिनमें अवयवी कण ऋणात्मक या धनात्मक आवेशित रहते है अत: आयनिक ठोसों में अवयवी कण ऋणायन व धनायन होते है।2. आयनिक ठोस (Ionic Solids)
यह क्रिस्टलीय ठोसों का दूसरा प्रकार है , वे क्रिस्टलीय ठोस जिनमें अवयवी कण आयन होते है उन्हें आयनिक ठोस कहते है। याद रखे कि आयनिक कण वे होते है जिनमें अवयवी कण ऋणात्मक या धनात्मक आवेशित रहते है अत: आयनिक ठोसों में अवयवी कण ऋणायन व धनायन होते है।उदाहरण : सोडियम क्लोराइड (NaCl)
. धात्विक ठोस (Metallic Solids)
वे क्रिस्टलीय ठोस जिनमें अवयवी कण धात्विक परमाणु और मुक्त इलेक्ट्रॉन होते है उन्हें धात्विक ठोस कहते है उदाहरण : जिंक , सोना आदि धात्विक ठोस के उदाहरण है।
सहसंयोजक ठोस (Network or Covalent Solids)
वे ठोस जिनमें समान प्रकार के परमाणु तथा भिन्न प्रकार के परमाणु आपस में जुड़कर सहसंयोजक नेटवर्क बनाते है और इस प्रकार के नेटवर्क से बने ठोसों को सहसंयोजक ठोस या नेटवर्क ठोस कहते है।उदाहरण : हीरा , ग्रेफाईट , सिलिका आदी सहसंयोजक ठोस या नेटवर्क ठोस के उदाहरण है।
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क्रिस्टलीय ठोस के प्रकार
क्रिस्टलीय ठोसों को उनमें परिचालित अंतराआण्विक बलों की प्रकृति के आधार पर चार संवर्गो में वर्गीकृत किया जा सकता है- आण्विक, आयनिक, धात्विक और सहसंयोजक।