Sociology, asked by irshadmansuri76407, 9 months ago

Critically discuss the
4. गांधीजी के संरक्षकता की अवधारणा को विस्तार से
cept of trusteeshi​

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Answered by yamini99999
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Answer:

सारांस

गांधी जी के संरक्षकता के सिद्धान्त से पहले संरक्षकता के अर्थ को समझना हमारे लिए जरूरी है। न्यासिता शब्द अंग्रेजी के ‘ ट्रस्ट ’ शब्द से बना है जो विधिवेताओं के द्वारा सामान्यतया व्यवहत होता है। न्यास में जमीन , किसी चीज को कोष , शेयर आदि रखे में जाते हैं। न्यास की अवधारणा जमीन और व्यवहार की अन्य संपत्ति को किसी के यहां सुरक्षित रूप से रखने के रीति रिवाज से हुई। अंग्रेजी कानून के मुताबिक सम्पति के उपभोग तथा उपयोग के विषय में अनेक सिद्धान्त निकाले हैं। इसमें न्यास का अर्थ यह हुआ कि कोई सम्पति जो किसी के स्वामित्व में है वह दूसरे के नियन्त्रण में उसकी मर्जी से उसके लाभकारी उपयोग के लिए दी जाती है।

Explanation:

भारत में न्यासिता की उत्पत्ति ‘ ईशोपनिषद ’ से हुई है। भारतीय सम्बन्ध में न्यासी का उपयोग मन्दिरों व मठों के सन्दर्भ में किया जाता है। न्यासी का मतलब किसी ऐसे व्यक्ति से होता है जो मन्दिर की संपत्ति का संचालन बिना किसी निहित स्वार्थ के करता है। देवदत दा भोलकर के अनुसार कि , ‘‘ बिना किसी प्रतिपादन की अपेक्षा के विशेषाधिकार , शक्ति , पद व प्रतिष्ठा का स्वैच्छिक परित्याग ही न्यासिता है। ” भारत के धार्मिक ग्रन्थ ऋग्वेद में भी यह कहा गया है कि ‘‘ जो व्यक्ति अकेला खाता है वह चोर है। ” ईशावास्य उपनिषद् ग्रन्थ के प्रथम श्लोक की पंक्ति में ‘ तेन व्यक्तेन भुंजीयाः ही संरक्षकता का मूल सिद्धान्त है। यानि त्याग की वृति से ही भौतिक वस्तुओं का भोग करना। संसार की सभी वस्तुएँ परमेश्वर की देन हैं उसी की कृपा के प्रसाद रूप में हम इसका इस्तेमाल करें , निजी माल्कियत समझ कर नहीं। हमारे जीवन को ठीक तरह से संचालित करने के लिए जितना भोजन , वस्त्र , आवास आदि की जरूरत है उतना ही हम उपयोग करें और शेष धन भगवान को या समाज को अर्पित कर दें। ‘ मा गृद्यः कस्यस्विद्धनम् ’ दूसरे के धन की कभी लालसा न करें। गांधी जी ने इस श्लोक के विषय में कहा था कि भारत के सब धर्म ग्रन्थ यदि समुद्र में डूब जायें और यह एक श्लोक ही बच जाए तो भी मानवता का उद्धार करने की क्षमता इसमें है। इस श्लोक में संरक्षकता का सम्पूर्ण विचार समाया हुआ है।

Answered by kumarsumit121187
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Explanation:

होगी। ”

गाँधी जी ने कहा था ‘‘ सरंक्षकता का बुनियादी सिद्धान्त यह है कि इसमें पूंजिपति और श्रमिक दोनों ही संरक्षक होंगे और इनमें कोई भी मालिक नहीं होगा। ”

गाँधी जी ने इन सिद्धान्तों के अतिरिक्त उन्होंने संरक्षकता के मूल आधार भी बताए हैं जिनका पालन किए बिना संरक्षकता का सिद्धान्त निरर्थक साबित होगा।

इस प्रकार गांधी जी का समाज में परिवर्तन का सिद्धान्त गहरी जीवन दृष्टि का प्रतीक है। 1937 में उन्होंने वर्धा शिक्षा प्रणाली की स्थापना की। 1938 में गांधी जी ने केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की स्थापना की। अगस्त 1942 में गांधी जी ने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए ‘ भारत छोड़ो आन्दोलन ’ चलाया जिसके कारण गांधी जी व अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। जून 1944 में शिमला में प्रमुख नेताओं का सम्मेलन हुआ परन्तु कोई फैसला नहीं हुआ।

1947 ई . में हिन्दु मुसलमानों के बीच झगड़ा उत्पन्न हो गया। ब्रिटेन सरकार के समझौते के आधार पर पंजाब व बंगाल के क्षेत्र अलग होंगे। माउंटबेटन ने भारत आते ही सब दलों के नेताओं से बातचीत व विचार विनिमय करके इंग्लैंड गए। 3 जून को ब्रितानिया सरकार ने भारत व पाकिस्तान को अलग - अलग राज्य बना दिया गया। गांधी जी ने हिन्दू - मुस्लमानों के बीच झगड़े को रोकने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता कराया। इसी स्थिति में 30 जनवरी , 1948 को नाथूराम गौडसे नामक एक हिन्दू ने बन्दूक की गोलियों से घायल कर दिया और अहिंसा के पुजारी होठों पर ईश्वर का नाम लेते हुए वे शहीद हो गए।

गांधी जी की मृत्यु भी उनके जीवन की तरह अकारथ नहीं गई। उनकी मौत से वे विचार और सिद्धान्त और भी अधिक सजीव और प्रभावकारी हो उठे जिनके लिए वे जीवन भर लड़े थे। मृत्यु के बाद महात्मा गांधी अपने जीवन की अपेक्षा अधिक बलशाली हो उठे और यही कारण है कि संसार में करोड़ों व्यक्ति उनके विचारों और सिद्धान्तों से प्रभावित हैं।

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