crow and squril story essay writing in hindi
Answers
Answered by
0
Explanation:
कौवे और गिलहरी में फिर से करार हुआ. कौवे ने बीती बातें भूल जाने का निवेदन किया और गिलहरी ने तुरंत मान लिया, उसके मन में तो वैसे भी कोई मलाल था ही नहीं. पिछली बारी कौवे ने ना खेत जोते थे, ना बीज बोये, ना सिंचाई की और ना ही फसल काटी थी.. नतीजतन गिलहरी के सब कर देने के बाद भी कौवे की पकी-पकाई फसल तेज़ आंधी-पानी में बह गई थी. इस बार तय हुआ कि कौवा निठल्ला बन हरी डाल पर ना बैठा रहेगा... तय हुआ कि दोनों बराबर से मेहनत करेंगे.
समय आया तो गिलहरी ट्रेक्टर लेकर कौवे के पेड़ के नीचे पहुँची, अब हल से खेत जोतने वाले दिन तो रहे नहीं थे. गिलहरी को उम्मीद थी कि कौवा अब वही पुराना गीत ना अलापेगा कि
-तू चल मैं आता हूँ,
चुपड़ी रोटी खाता हूँ
ठंडा पानी पीता हूँ
हरी डाल पर बैठा हूँ..
लेकिन कौवे ने बिना हिले ही अन्दर से आवाज़ दी. भाई कुछ ना खाऊंगा-पीऊंगा लेकिन सच यही है कि आज सर में बहुत दर्द है, तुम आगे-आगे चलो मैं जरा दवा लेकर आता हूँ. गिलहरी को क्या फर्क पड़ना था, वो तो थी ही मेहनती.. थोड़े ही समय में अपना खेत जोत लिया... जब कौवा काफी देर तक ना पहुंचा तो दयावश उसका खेत भी जोत दिया.. थोड़ी देर और ट्रेक्टर चला लिया जब पिछली बार पसीना बहाकर जोत लिया था तो इसबार तो ट्रेक्टर था ही.
वापस लौटते हुए देखा कि कौवा आँखें मींचे और मुँह खोले खर्राटे भर रहा था. गिलहरी ने तबियत का पूछा और अपने घर की राह देखी.
जब बुआई का वक़्त आया तो कौवे की टांग में दर्द पैदा हो गया, गिलहरी ने बिना तीन-पांच करे वह भी अपनी मर्जी से कर दिया. फिर यही कहानी कटाई के वक़्त भी दोहराई गई, कौवे को ना सुधरना था सो नहीं सुधरा.
इतिहास ने खुद को दोहराया और इस बार भी बारिश में कौवे की फसल बह गई और गिलहरी के गोदाम भरे रहे.
एक दिन सुबह-सुबह गिलहरी के दरवाजे पर दस्तक हुई.. उसने पूछा
-कौन है भाई?
जवाब आया
-मैं हूँ कौवा
-पुलिस
-वकील
-जज
एक-एक कर चार आवाजें गिलहरी के कानों में पड़ीं. बाहर से ही फरमान सुनाया गया कि जल्द से जल्द बाहर उनकी अदालत में हाज़िर हो क्योंकि उस पर कौवे की फसल हड़पने का आरोप था और मुकदमा चलाया जाना था.
गिलहरी आँख मलते हुए बाहर पहुँची तो पेड़ के नीचे अदालत लग चुकी थी. थोड़ी ही देर में गिलहरी काली चोंच, काले पंख और कर्कश स्वर वाले जीवों के बीच अकेली खड़ी थी.
Similar questions