Economy, asked by ZoomSTER7381, 1 year ago

Current economy of india hindi

Answers

Answered by Niruru
3
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की हाल ही की रिपोर्ट दर्शाती है कि राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था आँकने के कई मापदंडों में भारत गंभीर रूप से पिछड़ा हुआ है.

रिपोर्ट यहाँ तक कहती है कि भारत की अर्थव्यवस्था आपातकालीन दौर से गुज़र रही है. इस रिपोर्ट ने 144 देशों की आर्थिक स्थिति और भविष्य में उनकी विकास दरों की संभावनाओं को आँका है.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार एक देश की अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक एक अच्छी विकास दर बनाए रखने के लिए तीन चरणों से गुज़रना पड़ता है.

पहला, मूल आधारिक संरचना, यानी स्वास्थ्य और शिक्षा की मूलभूत सुविधाएं. इनके साथ ही वृहत आर्थिक स्थिति – महंगाई, राजकोषीय घाटा और आयात-निर्यात तंत्र, आदि को भी सुदृढ़ रहना चाहिए.

इन दोनों मापदंडों में भारत की स्थिति दयनीय है. इसको बदलने के लिए सरकारी व निजी संगठनों की सक्रियता, आपसी तालमेल और नौकरशाही तंत्र का सक्रिय होना आवश्यक है.

बिजली, पानी, और औद्योगिक ऊर्जा जैसी बुनियादी चीज़ें भारत में वैसे भी विकट समस्याएँ हैं और नई परियोजनाओं को शुरू करने में बड़ी बाधा बनती हैं.

भारत के पास काम करने वालों की कमी नहीं है, लेकिन उनको खपाने और उनका लाभ उठाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.

नतीजतन श्रम-सक्षमता के आंकड़े में भारत 144 देशों में 121वें स्थान पर है. यह विसंगति देश में आय असमानता और अमीर-गरीब के बीच लगातार चौड़ी होती खाई का भी कारण है.

नरेंद्र मोदी से आशाएं हैं कि वे ‘अच्छे दिनों’ को जल्दी ही ले आएंगे. गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने प्रदेश में विकास की दिशा में बहुत कार्य किए, किन्तु पूरे देश की अर्थव्यवस्था के ढांचे को बदलना इतना आसान नहीं होगा.

सिर्फ़ नई योजनाएं बनाना काफी नहीं, उनको लागू करने के लिए इन मूल समस्याओं पर ध्यान देना ज़्यादा ज़रूरी है.


शेयर बाज़ार का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स नई ऊंचाइयों को छू रहा है, लेकिन यह याद रखना होगा कि विदेशी निवेश, जो इस बढ़ोत्तरी का एक बड़ा कारण है, अमरीका और यूरोप के विकसित देशों की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है.

अभी उन देशों की मौद्रिक नीति नरम है और ब्याज दरें बहुत कम, जिस कारण निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों को पैसा आसानी से उपलब्ध है.

जैसे-जैसे विश्व इस लंबी आर्थिक मंदी के दौर से उबरेगा, विकसित देशों में ब्याज दरें बढ़ेंगी. उस समय निवेशक निश्चय ही भारत की मूल कमजोरियों पर ज़्यादा ध्यान देंगे.

सतही तौर पर भारत अपने निजी आर्थिक संकट से निकलता लगता है, लेकिन देश की विकास क्षमता और स्थिरता की असली परीक्षा अभी बाकी है.

# I hope it will help you.

Similar questions