Cycle ko vinamra savari kyou kaha Jaya ha
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लेखक की दृष्टि में साइकिल एक विनमर् सवारी थी। उसन् कभी भी सेचा न था कि साइकिल जैसी सवारी भी किसी के जीवन में इतना बदलाव ला सकति है। यह तो उसने पुडुकोट्टई कि महिलाओं द्वारा ही जाना क्योंकि यहाँ की महिलाओं को 'मानसिक जागृति' देने का कार्य साइकिल ने ही किया था।
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