Chemistry, asked by mayankpradhan2507, 3 months ago

. (D.broglie role) का वर्णन करे​

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परिकल्पना समीकरण या डी ब्रोग्ली का सिद्धांत : डी ब्रोगली के अनुसार प्रकाश विकिरणों के समान अन्य सूक्ष्म कण जैसे electron , प्रोटोन आदि भी द्वेत (dual) प्रकृति दर्शाते है।

अर्थात तरंग व कणीय दोनों रूपों में पाये जाते है।

विकिरणों की आवृति v हो तो तरंगीय प्रकृति के अनुसार ऊर्जा E को निम्न प्लांक समीकरण द्वारा दिया जाता है –

E = hv

परन्तु जब विकिरण को कण के रूप में माना जाता है तो उसकी ऊर्जा E आइंस्टीन समीकरण द्वारा दी जाती है –

E = mc2

यहाँ m = फोटोन का द्रव्यमान तथा c = प्रकाश का वेग

दोनों समीकरणों की तुलना करने पर

hv = mc2

mc = hv/c

चूँकि हम जानते है की v/c = 1/λ

अत: mc= h/λ

λ = h/mc

किसी प्रकाश कण के लिए mc का मान वही होता है जो किसी साधारण कण के लिए mv का मान होता है।

अत: λ = h/mv

चूँकि हम जानते है की संवेग p = mv

अत: λ = h/p

इसे डी ब्रोगली समीकरण कहते है।

डी ब्रोगली समीकरण से स्पष्ट है की संवेग = 1/तरंग दैर्ध्य

अर्थात किसी गतिशील कण का संवेग उसके तरंग दैर्ध्य का व्युत्क्रमानुपाती होता है।

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