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निमनलिखित में से कौन सी नवीन धार्मिक
नेताओं की प्रमुख विशेषता नही थी
(1) ये रुठीवादी ब्राहणिय ढांचे के बाहर थे
(2)उनके द्वारा वेयो को चुनौती दी गई
(3)आम भाषा मे अपने विचारों का प्रचार
(4)शासक वर्ग से निकटता
Answers
Explanation:
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी में क्या हो रहा है। क्या ये पार्टी भी बाकी पार्टियों जैसी हो गई है। पिछले एक हफ्ते से यह सबसे ज़्यादा पूछा जाने वाला सवाल बन गया है। आम आदमी पार्टी के समर्थक, वोटर तो पूछ ही रहे हैं, दूसरे दल के नेता और समर्थकों की भी दिलचस्पी बनी हुई है। यह सवाल पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र के प्रति काफी आशान्वित करता है। चुनावों के बीच-बीच में ऐसे सवाल मुखर होते रहने चाहिए।
लोकतंत्र की रसोई सिर्फ सरकार में नहीं बनती है, पार्टियों के भीतर और घरों में भी बनती है। इस पूरे विवाद का एक सकारात्मक हासिल यही है कि लोग पूछ रहे हैं कि आम आदमी पार्टी में क्या हो रहा है। यह तो दावा नहीं कर सकता कि पहली बार हो रहा है मगर बहुत ज़माने के बाद सुनने को तो मिल ही रहा है। अरविंद केजरीवाल सही हैं या योगेंद्र यादव इस खेमेबाज़ी से निकल कर पार्टी कैसे चलती है का सवाल फिर से नया नया सा हो गया है।
क्या आप जानते हैं कि किसी पार्टी का संसदीय बोर्ड कब राष्ट्रीय कार्यकारिणी से ताकतवर बन जाता है और कब राष्ट्रीय कार्यकारिणी मज़बूत अध्यक्ष के सामने काग़ज़ी संस्था बनकर रह जाती है। क्या आपको पता है कि कांग्रेस की कार्यसमिति में सदस्य मनोनित ही क्यों होते हैं। वे चुनकर क्यों नहीं आते हैं। क्या आपको पता है कि बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी अपने समय पर होती है या नहीं। होती है तो इसमें बातों को रखने की प्रक्रिया क्या होती है। कैसे कोई सामान्य कार्यकर्ता इन प्रक्रियाओं का लाभ उठाते हुए अध्यक्ष या नेता की मर्ज़ी के बग़ैर पार्टी के शीर्ष पदों तक पहुंच सकता है। क्या हमारे राजनीतिक दल बंद दरवाज़े की तरह काम करने लगे हैं। इस सवाल का जवाब तो हम दशकों से जानते हैं कि पार्टियां बड़े नेता की जेबी संगठन में तब्दील हो गई हैं।