'डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन के प्रेरक-प्रसंग' पाठ को पढ़कर लिखिए कि कौन से दो रास्तों में से एक रास्ता चुनकर
उन्होंने स्वदेशका मान बढ़ाया।
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¿ डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन के प्रेरक-प्रसंग' पाठ को पढ़कर लिखिए कि कौन से दो रास्तों में से एक रास्ता चुनकर उन्होंने स्वदेश का मान बढ़ाया।
✎... डॉक्टर अब्दुल कलाम ने जब अपने जीवन में पढ़ाई में संघर्ष करके वैमानिकी यांत्रिकी में शिक्षा प्राप्त कर ली तो उस समय उनकी इस शैक्षणिक योग्यता के कारण उन्हें यूरोप और अमेरिका से अच्छे वेतन और सुविधा युक्त नौकरी का प्रस्ताव प्राप्त हुये। उस समय ऐसे उच्च-शिक्षाधारियों की यूरोप और अमेरिका में बड़ी मांग थी।
डॉ. कलाम के सामने दो विकल्प थे पहला यह कि ऐसा आकर्षक प्रस्ताव स्वीकार कर वह विदेश चले जाएं और ढेर सारा धन कमाकर एक धनवान व्यक्ति के रूप में ऐशो-आराम का जीवन व्यतीत करें या दूसरा विकल्प था कि वे यही भारत में रहकर मातृभूमि की सेवा करें और मातृभूमि के कर्ज को चुकता करें और अंततः उन्होंने दूसरा रास्ता सुना।
उन्होंने विदेश में जाकर शानदार भविष्य को संवारने की जगह अपने देश की सेवा करने के महान आदर्श पर चलने का उन्होंने निश्चय किया। इस तरह उन्होंने धन से अधिक देश को महत्व दिया। यही उनकी महानता थी और अपने इस निर्णय से उन्होंने स्वदेश का मान बढ़ाया।
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