डीएनए द्विकुंडली की कौन सी विशेषता वाटसन व क्रिक को डीएनए प्रतिकृति के सेमी-कंजर्वेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया। इसकी व्याख्या कीजिए।
Answers
डी०एन०ए द्विकुंडली के दोनों पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के मध्य क्षार युग्मन की उपस्थिति ने वाटसन व क्रिक को डी०एन०ए प्रतिकृति के सेमी-कंजर्वेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया।
Explanation:
क्षार युग्मन पाॅलिन्यूकि्लयोटाडड श्रृंखलाओं की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह एक दूसरे की पूरक होती है । इस कारण एक पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला के क्षार क्रमों का ज्ञान होने पर दूसरी पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला क्षार क्रमों का अनुमान लगाया जा सकता है।
डी०एन०ए अणु दोनों पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के निर्माण हेतु टेंपलेट का कार्य करती है। इसके फलस्वरूप संतति डी०एन०ए का निर्माण होता है जो कि पैतृक डी०एन०ए जैसा होता है। प्रतिकृति के पूर्ण होने के पश्चात जो डी०एन०ए अणु बनता है , उसमें एक पैतृक व एक नई निर्मित पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला होती है । द्विगुणन की यह प्रक्रिया अर्द्धसंरक्षी (सेमी-कंजर्वेटिव) डी०एन०ए प्रतिकृति कहलाती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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