डॉ गौर को भामा
शाह क्यों कहा गया?
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Explanation:
डॉ. गौर भामाशाह क्यों कहलाए? राष्ट्रहित के लिए जिस प्रकार भामाशाह ने अपना संचित धन महाराणा प्रताप को सहर्ष सौंप दिया था, उसी प्रकार भारत माँ के लाड़ले सपूत डॉ. हरिसिंह गौर ने परिश्रमपूर्वक अर्जित धन विश्वविद्यालय स्थापना के लिए दान कर दिया।
डॉ. गौर को भामाशाह इसलिए कहा जाता था, क्योंकि जिस तरह भामाशाह ने महाराणा प्रताप की सहायता के लिए बिना संकोच किए अपनी सारी धन-सम्पत्ति खुशी-खुशी सौंप दी, उसी प्रकार भारत माँ के लाडले सपूत डॉ हरिसिंह गौर ने अपने परिश्रम से अर्जित किया गया धन मध्यप्रदेश में सागर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सहर्ष दान कर दिया।।
पहले तो उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए लगभग 20 लाख रुपये दान किये। बाद में उन्होंने अपने जीवन की सारी गाढ़ी कमाई लगभग दो करोड़ रुपए की धन संपत्ति सागर विश्वविद्यालय को अर्पित कर दी। ऐसा उदाहरण कम ही देखने को मिलता है। पूरे एशिया में किसी एक व्यक्ति के दान मात्र से स्थापित सागर विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है।
राष्ट्रहित के लिए किए गए डॉ गौर के इस कार्य के कारण ही उन्हें भामाशाह कहा जाता है।