डाइस तथा सील में अंतर
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: कोरोना वायरस के कहर ने भारत समेत पूरी दुनिया में कहर मचाकर रखा हुआ है। देश में एक ही दिन में कोरोना वायरस (Covid-19) के 540 नए केस सामने आए हैं जिससे संक्रमितों की संख्या बढ़कर 5734 तक पहुंच गई है। कोरोना वायरस से अब तक 166 लोगों की मौत हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया था। लॉकडाउन के बावजूद मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। वहीं खतरे को देखते हुए यूपी और दिल्ली सरकार ने राज्य के कई इलाकों को कोरोनावायरस के हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित करते हुए इन्हें सील कर दिया है। आइए जानते हैं आखिर लॉकडाउन और हॉटस्पॉट सील में क्या फर्क है?
लॉकडाउन में क्या कर सकते हैं
लॉकडाउन के दौरान आप जरूरी सामान जैसे फल, सब्जियां, राशन, दूध, दवाइयों के लिए बाहर जाने की छूट होती है। आपातकालीन सेवाएं भी चालू रहती हैं ,लेकिन बिना किसी वजह के बाहर जानें की परमिशन नहीं होती यदि ऐसा कोई व्यक्ति मिलता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाती है। बस, रिक्शा आदि वाहनों की आवाजाही को भी
नहीं जाने दिया जाता।
मेडिकल स्टोर भी कर दिए जाते हैं बंद
इलाके के अंदर और बाहर जाने वाले प्वाइंट्स को पूरी तरह सील कर दिया जाता है। किसी भी दुकान के खुलने की इजाजत नहीं होती है। यहां तक की मेडिकल स्टोर भी बंद कर दिए जाते हैं। प्रशासन की तरफ से हर जरूरी सामान की होम डिलेवरी कराई जाती हैः एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड को भी एंट्री के लिए परमिशन लेनी पड़ती है। हॉटस्पॉट इलाकों में मीडिया के घुसने पर भी पाबंदी रहती है। सिर्फ स्पेशल पास के जरिए डॉक्टर को जाने की इजाजत होती है। सील किए गए इलाकों में जिला प्रशासन गरीबों को राशन आदि बांटेगा। गरीबों को मुफ्त में सामग्री दी जाएगी। सील किए गए इलाकों में कोई कम्युनिटी किचन नहीं चलेगा। आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि लॉक डाउन में थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन सीलिंग में बिलकुल नहीं मिलती।
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