डी कै.बस्सु दिशा निर्देशों में पुलिस की पोशाक के बारे में क्या कहा गया है।
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न्यायालय ने प्रदेश के प्रत्येक थाने में सुप्रीमकोर्ट के डीके बसु केस में जारी किए गए दिशा निर्देशों को प्रमुख थानों पर लिपिबद्ध करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने प्रदेश के डीजीपी एवं प्रमुख गृह सचिव को इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आदेश की प्रति प्रेषित करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने आपराधिक मामलों के अन्वेषण व संदिग्धों से पूछताछ के पुलिस के तरीके को संतोषजनक नहीं माना और कहा कि अधिवक्ता एक सम्मानित वर्ग है। पुलिस से अपेक्षा की जाती है कि वह अधिवक्ताओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करे। इसी के साथ न्यायालय ने अधिवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार करने वाले कोतवाली इलाहाबाद के इंचार्ज इंद्रजीत चतुर्वेदी द्वारा माफी मांगने तथा ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न करने के आश्वासन पर कोई सख्त आदेश न देते हुए याचिका निस्तारित कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रवीन्द्र सिंह तथा न्यायमूर्ति अनुराग कुमार की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह की याचिका पर दिया है। उल्लेखनीय है कि एक महिला रेहाना परवीन ने पुलिस से शिकायत की कि उसके बच्चे को उससे छीन लिया गया है। उसका कहना था कि उसके बच्चे की बृजेश कुमार श्रीवास्तव से शादी हुई है। इस पर पुलिस बृजेश के भाई अशोक कुमार श्रीवास्तव को पकड़ लाई। जब याची व उनके तीन साथी अधिवक्ताओं ने इसका कारण जानना चाहा तो उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। इधर बृजेश का भी पता नहीं चल रहा था। इस पर याची व अन्य अधिवक्ता अतरसुइया थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने पहुंचे। यहां कोतवाली इंचार्ज ने सभी को जबरन जीप में बैठा लिया और कोतवाली ले आए। आधे घंटे बाद इन सभी को वहां से चले जाने का आदेश दिया। बाद में सायंकाल अशोक श्रीवास्तव को भी छोड़ दिया। याची वकीलों ने इंचार्ज कोतवाली द्वारा किए गए दुर्व्यवहार की सूचना महानिबंधक को दी और याचिका दाखिल की। तलब कोतवाली इंचार्ज ने कोर्ट को गलत सूचना देने के लिए माफी मांगी और कहा कि कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। प्रकरण हल कर लिया गया।