डॉक्टर साहब ने १९३० मे यह लिखा।
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रामनवमी का दिन था. राम का रथ खींचने के लिए कुछ युवक बेसब्र थे. तभी हल्ला हुआ कि कुछ लोग रथ ही चुरा ले गए.
वहां खड़े युवक उस रथ के पीछे दौड़ने लगे. लोगों ने उन युवकों और उनके नेताओं पर पत्थरबाजी शुरू कर दी.
यह घटना 89 साल पुरानी है. नासिक के कालाराम मंदिर का यह रथ था और युवकों के नेता के रूप मे खड़े थे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर.
डॉ आंबेडकर ने छुआछूत ख़त्म करने के लिए काफ़ी संघर्ष किया था. कालाराम मंदिर का उनका आंदोलन काफ़ी अहम माना जाता है.
आशा हैं आपकी मदत हुई होगी।
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