डाकघर कि मुलाकात के बारे में टिपपणी लिखिए
Answers
Answered by
7
सरकार अपने विभिन्न विभागों के माध्यम से जनसेवा के कार्य संपन्न करती है । विभाग दो प्रकार के होते हैं- प्रमुख और गौण । शिक्षा, आयकर, आबकारी आदि गौण विभाग हैं ।
यदि इन विभागों के कर्मचारी अपनी माँग पूरी कराने के लिए किसी समय हड़ताल कर दें तो कुछ दिनों तक सरकारी कार्य चलना रहना है । रेलवे, सेना, पुलिस आदि प्रमुख और अत्यंत आवश्यक विभाग हैं । इनके कर्मचारियों के किसी कारण हड़ताल करने पर जनसेवा का सारा काम ठप हो जाता हें । डाक विभाग भी ऐसा ही प्रमुख विभाग है । इसके कार्यों में रुकावट आने पर सरकार अपंग हा जाना है ।
राज्यों की राजधानी में डाक विभाग का एक प्रादेशिक कार्यालय होता है । राज्य के विभिन्न छोटे-बड़े स्थानों में स्थापित डाकघर उसी की देखरेख में कार्य करते हैं । बड़े-बड़े नगरों में एक प्रधान डाकघर होता है । उसके अंतर्गत नगर के स्थानों में अनेक छोटे-बड़े डाकघर होते हैं । बड़े-बड़े कस्बे और ग्रामों में केवल एक डाकघर होता है । डाकघर के प्रमुख अधिकारी को ‘पोस्ट मास्टर’ कहते हैं ।
डाकघरों में पोस्ट मास्टर के अतिरिक्त आवश्यकतानुसार डाकिया होते हैं । नगर के उप-डाकघरों में पोस्ट मास्टर की सहायता के लिए एक अथवा दो कर्मचारी रहते हैं, किंतु बड़े और प्रमुख डाकघरों में डाक संबंधी विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए कई कर्मचारी होते हैं । प्रत्येक डाकघर दस बजे खुलता है और पाँच बजे बंद हो जाता है ।
डाकघर का प्रमुख कार्य है- बाहर से आई हुई डाक, पार्सल, मनीऑर्डर, पत्र आदि को पावती के घरों तक पहुँचाना और उस स्थान की डाक को बाहर भेजने की व्यवस्था करना, जिसमें वह स्थित है । कस्बों के डाकघरों में कार्य-भार अधिक नहीं होता, इसलिए दोनों कार्य वहाँ के डाकिए एक साथ ही साथ लेते हैं । नगर के प्रमुख तथा केंद्रीय डाकघरों में कार्य-भार अधिक होता है, इसलिए वहाँ दोनों प्रकार के कार्यों के अलग-अलग उप-विभाग होते हैं ।
एक उप-विभाग बाहर से आई हुई डाक को नगर में वितरण कराने का कार्य करता है और इसके साथ ही नगर के विभिन्न स्थानों में स्थापित पत्र-पेटिकाओं में संगृहीत पत्रों तथा उप-डाकघरों से आए हुए रजिस्टर्ड पत्रों, पार्सलों, मनीऑर्डरों आदि को उनके गंतव्य स्थानों के अनुसार उनकी छँटाई करता है और फिर उन्हें थैलों में भरकर डाक ढोनेवाली लाल रंग की मोटर से स्टेशन तक पहुँचाता है ।
स्टेशन से विभिन्न दिशाओं की ओर जानेवाली रेलगाड़ियों द्वारा डाक बाहर भेजी जाती है । डाक ले जानेवाली रेलगाड़ियों में लाल रंग का एक बड़ा डिब्बा लगा रहता है । उसके कर्मचारी पत्रों आदि को छाँटकर पत्रों के थैलों को गंतव्य स्थान के स्टेशनों पर उतार देते हैं ।
यदि इन विभागों के कर्मचारी अपनी माँग पूरी कराने के लिए किसी समय हड़ताल कर दें तो कुछ दिनों तक सरकारी कार्य चलना रहना है । रेलवे, सेना, पुलिस आदि प्रमुख और अत्यंत आवश्यक विभाग हैं । इनके कर्मचारियों के किसी कारण हड़ताल करने पर जनसेवा का सारा काम ठप हो जाता हें । डाक विभाग भी ऐसा ही प्रमुख विभाग है । इसके कार्यों में रुकावट आने पर सरकार अपंग हा जाना है ।
राज्यों की राजधानी में डाक विभाग का एक प्रादेशिक कार्यालय होता है । राज्य के विभिन्न छोटे-बड़े स्थानों में स्थापित डाकघर उसी की देखरेख में कार्य करते हैं । बड़े-बड़े नगरों में एक प्रधान डाकघर होता है । उसके अंतर्गत नगर के स्थानों में अनेक छोटे-बड़े डाकघर होते हैं । बड़े-बड़े कस्बे और ग्रामों में केवल एक डाकघर होता है । डाकघर के प्रमुख अधिकारी को ‘पोस्ट मास्टर’ कहते हैं ।
डाकघरों में पोस्ट मास्टर के अतिरिक्त आवश्यकतानुसार डाकिया होते हैं । नगर के उप-डाकघरों में पोस्ट मास्टर की सहायता के लिए एक अथवा दो कर्मचारी रहते हैं, किंतु बड़े और प्रमुख डाकघरों में डाक संबंधी विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए कई कर्मचारी होते हैं । प्रत्येक डाकघर दस बजे खुलता है और पाँच बजे बंद हो जाता है ।
डाकघर का प्रमुख कार्य है- बाहर से आई हुई डाक, पार्सल, मनीऑर्डर, पत्र आदि को पावती के घरों तक पहुँचाना और उस स्थान की डाक को बाहर भेजने की व्यवस्था करना, जिसमें वह स्थित है । कस्बों के डाकघरों में कार्य-भार अधिक नहीं होता, इसलिए दोनों कार्य वहाँ के डाकिए एक साथ ही साथ लेते हैं । नगर के प्रमुख तथा केंद्रीय डाकघरों में कार्य-भार अधिक होता है, इसलिए वहाँ दोनों प्रकार के कार्यों के अलग-अलग उप-विभाग होते हैं ।
एक उप-विभाग बाहर से आई हुई डाक को नगर में वितरण कराने का कार्य करता है और इसके साथ ही नगर के विभिन्न स्थानों में स्थापित पत्र-पेटिकाओं में संगृहीत पत्रों तथा उप-डाकघरों से आए हुए रजिस्टर्ड पत्रों, पार्सलों, मनीऑर्डरों आदि को उनके गंतव्य स्थानों के अनुसार उनकी छँटाई करता है और फिर उन्हें थैलों में भरकर डाक ढोनेवाली लाल रंग की मोटर से स्टेशन तक पहुँचाता है ।
स्टेशन से विभिन्न दिशाओं की ओर जानेवाली रेलगाड़ियों द्वारा डाक बाहर भेजी जाती है । डाक ले जानेवाली रेलगाड़ियों में लाल रंग का एक बड़ा डिब्बा लगा रहता है । उसके कर्मचारी पत्रों आदि को छाँटकर पत्रों के थैलों को गंतव्य स्थान के स्टेशनों पर उतार देते हैं ।
Answered by
6
डाकघर की मुलाकात से यहां तात्पर्य है कि डाकघर जाने पर जो हमें बदलाव दिखा उसे रेखांकित करना। इस तकनीक के युग में डाकघर की उपयोगिता घटी है।
पहले की तुलना में अब डाकघरों से संदेश भेजने का चलन बहुत कम हो गया है। जब मैं डाकघर पहुंचा तो पहले कि भांति वहां भी कई बदलाव आ गए हैं। जैसे युग में तकनीक आ रहा है वैसे ही डाकघर ने भी खुद को काफी बदला है।
अब डाकघरों में भी कम्प्यूटर का इस्तेमाल होने लगा है। बारकोड का इस्तेमाल करना यह दिखता है कि डाकघर ने अपनी उपयोगिता बरकरार रखने के लिए खुद को बदला है।
अगर ढांचे की भी बात करें तो अब डाकघर भी किसी निजी बैंक से कम नहीं लगता है। वहां के कर्मचारी भी अब नए और कुशल हैं।
Similar questions
Hindi,
7 months ago
Geography,
7 months ago
Math,
7 months ago
CBSE BOARD X,
1 year ago
Math,
1 year ago