डाल्टन के परमाणु सिद्धांत का अभी धारण नहीं है ऑप्शन ए परमाणुओं को बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकता ऑप्शन भी विभिन्न तत्वों के परमाणु के विभिन्न आकार धनवान और रासायनिक गुण होते हैं और संशी सामान तत्वों के परमाणु किसी एक योगी के अधिक उत्पादन करने के लिए केवल एक अनुपात में सहयोग कर सकते हैं ऑप्शन डी परमाणु बहुत छोटे कारण होते हैं जिन्हें आयोजित नहीं किया जा सकता
Answers
Answer:
डाल्टन ने द्रव्यों की प्रकृति के बारे में एक आधारभूत सिद्धान्त प्रस्तुत किया और द्रव्य की विभाज्यता का विचार दिया जिसे उस समय तक दार्शनिकता माना जाता था। ग्रीक दार्शनिकों के द्वारा द्रव्यों के सूक्ष्मतम अविभाज्य कण, जिसे परमाणु नाम दिया था, उसे डाल्टन ने भी परमाणु नाम दिया। डाल्टन का यह सिद्धान्त रासायनिक संयोजन के नियमों पर आधरित था। डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त ने द्रव्यमान के संरक्षण के नियम एवं निश्चित अनुपात के नियम की युक्तिसंगत व्याख्या की।
डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त के अनुसार सभी द्रव्य चाहे तत्व, यौगिक या मिश्रण हो, सूक्ष्म कणों से बने होते हैं जिन्हें परमाणु (एटम) कहते हैं। डाल्टन के सिद्धान्त की विवेचना निम्न प्रकार से कर सकते हैं:
सभी द्रव्य परमाणुओं से बने होते हैं।
परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं और न ही उनका विनाश होता है।
किसी भी दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान एवं रासायनिक गुण समान होते हैं।
भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म भिन्न-भिन्न होते हैं।
भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर छोटी पूर्ण संख्या के अनुपात में संयोग कर यौगिक नियमित करते हैं।
किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एवं प्रकार निश्चित होते हैं।
रासायनिक अभिक्रिया, परमाणुओं की एक पुनर्व्यवस्था है।
Explanation:
HOPE IT HELP YOU
please support me