(ड)पेड़-पौधे ,पशु और आदमी-सब अपनी-अपनी लय
ताल,गति में हैं। हमारी पीढ़ी ने प्रकृति की इस लय,ताल
और गति से खिलवाड़ कर अक्षम्य अपराध किया है-ऐसा
लेखिकाने कब और क्यों कहा?
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ऐसा लेखिका ने इसलिए कहा है जो कि पेड़ पौधों को काटकर नहीं-नहीं फैक्ट्रियां बना दी गई है कहीं पर भी मैदान नहीं है मनुष्य प्रकृति का विनाश करता जा रहा है
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