डॉ. राधाकृष्णन ने अध्यापक का क्या कर्तव्य बताया?
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अगर कोई शिक्षक से उम्मीद रखता है तो उसकी सोच होती है कि यही वह व्यक्ति है जो समाज में छात्रों के जरिए नई सोच, एक कर्तव्य और बदलाव लाने की क्षमता रखता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भी समाज एक महान शिक्षक के रूप में याद करता है। वह महान फिलॉस्फर तो थे ही साथ ही एक अच्छे श्रोता भी थे।
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दिए गए प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है -
- उनका दृढ़ विश्वास था कि एक अच्छा शिक्षक अपने छात्रों को जीवन में उच्चतम सफलता के लिए मार्गदर्शन कर सकता है और इसीलिए उन्होंने कहा, "शिक्षक देश में सबसे अच्छे दिमाग वाले होने चाहिए"।
- "शिक्षक विचार की विभिन्न धाराओं, बलिदान के वैदिक पंथ, पारलौकिक ब्राह्मण की उपनिषद शिक्षा, भागवत आस्तिकता और कोमल धर्मपरायणता, सांख्य द्वैतवाद और योग ध्यान को परिष्कृत और समेटता है।
- वह हिंदू जीवन और विचार के इन सभी जीवित तत्वों को एक जैविक एकता में खींचता है। वह इनकार करने का नहीं, बल्कि प्रस्तुतिकरण का तरीका अपनाता है और दिखाता है कि कैसे ये विभिन्न विचार धाराएं एक ही लक्ष्य की ओर अभिसरण करती हैं।
- संक्षेप में, उनका मानना था कि एक शिक्षक को पहले एक गंभीर विद्वान होना चाहिए और फिर उसे पेशे से संबंधित होने की पूरी भावना के साथ प्रदर्शन करना चाहिए और शिष्य को एक निश्चित मात्रा में तपस्या और त्याग, गहरी मानवता और सहनशीलता के साथ प्रेरित और उत्साहित करना चाहिए।
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