Biology, asked by maahira17, 1 year ago

डार्विन के चयन सिद्धांत के परिप्रेक्ष्य में जीवाणुओं में देखी गई प्रतिजैविक प्रतिरोध का स्पष्टीकरण करें।

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Answered by nikitasingh79
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डार्विन के चयन सिद्धांत के अनुसार प्रकृति अपने अनुकूल विभिन्नताओं वाले जीवों का चयन करती है , जो जीव प्रकृति या पर्यावरण के अनुकूल नहीं होते, वे धीरे-धीरे लुप्त हो जाते हैं। इसी प्रकार के देखा गया है कि, जीवाणु के संवर्धन में यदि कोई प्रतिजैविक पदार्थ;  जैसे पेनिसिलिन डाल दिया जाता है तो, अधिकांश जीवाणु मर जाते हैं, जो कि इस प्रतिकूल  परिस्थिति को सहन नहीं कर पाते हैं, किंतु कुछ जीवाणु अनुकूल या उत्परिवर्तन द्वारा प्रतिजैविक प्रतिरोधी गुण विकसित कर जीवित बने रहते हैं।

ये जीवाणु कुछ समय बाद इस बदलती हुई परिस्थिति में तेजी से गुणित होते हैं तथा इनकी संख्या बहुत अधिक हो जाती है। इस प्रकार प्राकृतिक चयन द्वारा नए लक्षण वाले प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीवाणुओं का विकास हो जाता है।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

 

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Answered by Anonymous
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Answer:

डार्विन के चयन सिद्धांत के अनुसार प्रकृति अपने अनुकूल विभिन्नताओं वाले जीवों का चयन करती है , जो जीव प्रकृति या पर्यावरण के अनुकूल नहीं होते, वे धीरे-धीरे लुप्त हो जाते हैं।

  • इस प्रकार प्राकृतिक चयन द्वारा नए लक्षण वाले प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीवाणुओं का विकास हो जाता है।

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