डॉ विक्रम साराभाई को कौन से कारनामे पसंद थे
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विक्रम (Vikram Sarabhai) बचपन से ही बहुत चंचल, साहसी और मेधावी थे। एक बार उनका पूरा परिवार शिमला गया। वहां विक्रम ने देखा कि उनके पिताजी के नाम रोज ढेर सारी चिट्ठियां आती हैं, लेकिन उनके नाम कोई चिट्ठी नहीं आती। कुछ दिनों बाद उन्हें भी चिट्ठियां मिलने लगीं। पिताजी के कारण पूछने पर विक्रम ने बताया, “मैं स्वयं आप के दफ्तर से लिफाफे और टिकट लेकर अपने नाम चिट्ठियां लिखता हूं।” यह सुनकर पिताजी काफी देर तक हंसते रहे ।
विक्रम (Vikram Sarabhai) साहसी कारनामे भी खूब करते। बचपन में उन्होंने साइकिल चलानी सीख ली थी और उस पर तरह-तरह के करतब दिखाया करते। उनके घर के पास एक तालाब था। उसमें वह अपने नौकर तथा कुछ बच्चों के साथ नाव चलाया करते थे। लेकिन एक बार तो गजब हो गया। नाव एकाएक उलट गई। सब डूबने लगे, चीखने-चिल्लाने लगे। सौभाग्यवश किनारे के बाग में एक माली था। चीखें सुनकर उसने पानी में कूदकर सबकी जान बचाई। ऐसे चंचल थे विक्रम। इस सबके बावजूद वह पढ़ाई में सबसे आगे रहते थे।
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Happy Friendship day
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to all
Armies and everyone