डेविसन एवं जर्मर प्रयोग का उद्देश्य लिखिये। इसकी प्रायोगिक व्यवस्था का नामांकित चित्र बनाइये।
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तंतु को जब गर्म किया जाता है तो यह तंतु इलेक्ट्रान पुंज उत्सर्जित करता है जो त्वरक द्वारा त्वरित हो जाता है तथा समान्तरकारी छिद्र द्वारा एक सीधी रेखा के रूप में छिद्र से निकलता है और निकिल क्रिस्टल प्लेट पर टकराता है , टकराने के बाद यह इलेक्ट्रान पुंज सभी दिशाओं में विवर्तित हो जाता है , विवर्तित पुंजो में एक पुंज डिटेक्टर (संसूचक) पर पहुँचती है जो एक धारामापी से जुड़ा हुआ है।
डिटेक्टर (संसूचक) की अलग अलग स्थिति पर इलेक्ट्रान पुंज की तीव्रता का मान नोट करते है और इलेक्ट्रान पुंज की तीव्रता व संसूचक (डिटेक्टर) के कोण θ के मध्य ग्राफ खींचते है जो निम्न प्रकार प्राप्त होता है –
यह मान सतत प्राप्त नहीं होता है , बल्कि इस पर इसका मान अधिकतम और न्यूनतम के रूप में प्राप्त होता है निम्न प्रकार –
विवर्तन कोण θ = 50 पर शिखर प्राप्त होता है जो त्वरक विभव बढ़ाने पर पहले बढ़ता है और V = 54 वोल्ट पर या शिखर सर्वाधिक हो जाता है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
डेविसन – जर्मर प्रयोग द्वारा विवर्तित कोण θ तथा उससे सम्बद्ध विभवान्तर V का मान प्राप्त होता है।
डी ब्रोगली के अनुसार इलेक्ट्रान से सम्बद्ध तरंग दैर्ध्य –
जबकि डेविसन – जर्मर विश्लेषण द्वारा ज्ञात इलेक्ट्रान से सम्बद्ध तरंग दैर्ध्य
दोनों तरंग दैर्ध्य के मान लगभग समान है अत: डी ब्रोग्ली की परिकल्पना सही थी। और हमने ऊपर देख लिया कि कण तरंग की तरह व्यवहार करता है।