डायरी और पत्र लेखन मै अंतर और समानता
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diary lekhan mein hum voh sab likhte hain jo hamare aath din bhar ghatit hua hai parantu patr lekhan mein hum doosaron ko apni baat vyakt krte hue likhte hai
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डायरी और पत्र लेखन मै अंतर
डायरी : डायरी सही अर्थ में एक 'सच्चे मित्र' की तरह होती है, जिस में हम सब लिख सकते हैं। इसमें प्रतिदिन की विशेष घटनाओं को लिखकर हम उन्हें यादगार बना लेते हैं।
डायरी हम प्रतिदिन लिखते है | डायरी में हम हर दिन की विशेष घटनाएँ-प्रिय अथवा अप्रिय, जिन्होंने भी मन पर प्रभाव छोड़ा हो, डायरी में लिखी जाती हैं। डायरी में हम
अपने अनुभवों को लिखते है , अपनी बातों को लिखते है | डायरी एक अपने आप में निजी होती है , डायरी हम अपने अनुमति के बिना किसी को पढ़ने नहीं देते है | डायरी के माध्यम से हम अतीत में लौट सकते हैं तथा अपने खट्टे-मीठे अनुभवों को ताज़ा कर सकते है |
पत्र : पत्र के द्वारा हम अपनी बात व्यक्ति विशेष तक पहुंचाते है , पत्र के जरिए हम अपना संदेश किसी भी स्थान तक पहुंचा सकते है | अपने भावना , अपनी बातें बता सकते है | पत्र एक संदेश का जरिया है |
औपचारिक पत्र उन लोगों को लिखा जाता हैं जिनसे हमारा कोई निजी वास्ता नहीं होता । इस प्रकार के पत्रों का प्रयोग कार्यालयों व सरकारी काम - काजों में होता हैं ।
अनौपचारिक पत्र उन लोगों को लिखा जाता हैं जिनसे हमारा कोई निजी वास्ता होता है। यह पत्र हम अपने दोस्तों , रिश्तेदारों को लिखते है |