Hindi, asked by madayananda623, 8 months ago

Dahej Pratya Ek abhishap ​

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दहेज़ प्रथा एक अभिशाप है।

  • समस्त समाज और नारी जाति के हित के खिलाफ यह कुप्रथा अभिशाप है।
  • हमें इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए।
  • हमें ना दहेज़ लेना चाहिए ना देना चाहिए।

मेरे द्वारा रचित दहेज़ पर एक कविता ।

दहेज़ - एक अभिशाप

जब बाबुल ने अपना सर्वस्त्र गिरवी रख

अपने सपनों कि कीमत चुकाई थी

मेरी डोली दहेज के कंधों पर उठाई थी

बारात नहीं जनाजा ही था वो

जो मेरा शरीर उठाएं जा रहे थी

स्वाभिमान मेरा, मेरी आत्मा तभी फ़ना हो गई थी

जब मेरी मांग भी सौदे से लाल कराई गई थी

छोटे - छोटे ख्वाबों को देख कर

मैंने जो प्रेम की दुनिया सजाई थी

दहेज प्रेमी तेरे दहेज ने मेरे

अरमानों की चिता एक जलाई थी

घटना से पूर्व सबने मेरे मौत की साज़िश रचाई थी

एक ने मोल - भाव कर मेरी बोली लगाई थी

दूजे मेरे बापू ने खुशी - खुशी मेरी कीमत चुकाई थी

हां, मेरी डोली दहेज के कंधों पर उठाई थी

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