Dainik Jivan Mein Paryavaran Ke mahatva ko udaharan sahit 120 mein bataen
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दैनिक जीवन में पर्यावरण का महत्व
पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। हमारा सारा जीवन ही पर्यावरण के इर्द-गिर्द सिमटा हुआ है। पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती खाली मानव ही नहीं इस प्रकृति में रहने वाले प्रत्येक प्राणी की पर्यावरण के बिना कल्पना नहीं की जा सकती।
हमारे चारों ओर स्थित यह पेड़-पौधे, जल, मिट्टी, वायु, जमीन, आकाश, पर्वत, नदी, तालाब पर्यावरण का ही हिस्सा है। आज विकास की और आधुनिकता की दौड़ में मनुष्य कृत्रिम जीवन शैली को ज्यादा अपनाने लगा है और प्राकृतिक वातावरण और अपने पर्यावरण से दूर होता जा रहा है। जिसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ रहा है। वो अनेक बीमारियों से ग्रस्त होता जा रहा है और उसकी जीवनशैली भी बिगड़ती जा रही है।
पहले ऐसा नहीं था। प्राचीन काल में हमारे पूर्वज पर्यावरण के अधिक निकट थे। वे प्रकृति के तत्वों सहेज कर रखते थे। मनुष्य का जीवन उसमें बहुत सीधा-साधा और सरल था। वो कठोर परिश्रम करता था और अपने आसपास के प्राकृतिक वातावरण को भी बनाए रखता था। धीरे-धीरे समय बदलता गया मनुष्य प्रगति करने लगा। विज्ञान ने मनुष्य के जीवन में दस्तक दी नए नए अविष्कार हुए और मनुष्य कृत्रिम जीवन शैली की ओर बढ़ता गया। वह अपने पर्यावरण से विमुख होता गया और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने लगा। इस कारण पृथ्वी पर उपस्थित पर्यावरण संतुलन बिगड़ने लगा। प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होने लगी। अनेक प्राकृतिक समस्याएं उत्पन्न होने लगी। प्रदूषण बढ़ने लगा।
आज हालात ये हैं कि प्राकृतिक संसाधनों में कमी होती जा रही है, वन घटते जा रहें हैं, वायुमंडल दूषित होता जा रहा है। हवा-पानी-मिट्टी सब अशुद्ध् होते जा रहे हैं। ये सब मनुष्य के विकास की अंधी दौड़ तथा पर्यावरण से दूर रहने के कारण ही हो रहा है।
आज समय रहते जागरूक होने की जरूरत है कि हम प्रकृति और पर्यावरण के अधिक निकट जायें। अपने पर्यावरण का संरक्षण करें और कृत्रिम जीवन शैली को त्यागकर प्राकृतिक जीवन शैली को अपनायें। इससे हमें दोहरा फायदा है। हमारा पर्यावरण संरक्षित होगा और हमारा जीवन भी सेहतमंद और उत्तम बनेगा।
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