Hindi, asked by hiralnandani, 4 months ago

'डर जाए फूल बनने से कोई नाजुक कली,
तुम ना खिलते फूल पर तितली के टूटे पर दिखो।
कोई ऐसी शक्ल तो मुझको दिखे इस भीड़ में,
मैं जिसे देखू उसी में तुम मुझे अक्सर दिखो।​

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Answered by rupeshgs02
22

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Answered by iv117998
8

Answer:

गजलकार कहता है कि तुम्हें कली से फूल बनने के इस थोड़े-से संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। तुम्हें तो तितली के टूटे पर की भाँति दिखना है, जो तितली के अथाह संघर्ष को दर्शाता है। गजलकार कहता है कि उसे दुनिया की इस भीड़ में एक ऐसे सच्चे चेहरे की तलाश है, जिसे देखने के बाद हर व्यक्ति में उसी की झलक दिखाई दे।

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