डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है - पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
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उत्तर :
लेखिका की बहन रेनू बी० ए० की परीक्षा न देने पर गई थी। वह बार-बार यही कहती थी कि पहले मुझे समझाओ कि बी० ए०. करना जरूरी क्यों है। इसके बाद ही मैं बी० ए० करूंगी। सब ने उनको अपने अपने तर्क दिए पर वह नहीं मानी। उनके पिताजी न्यू उन्हें समझाया कि बी ए करके उन्हें नौकरी मिल सकती है, अच्छी शादी हो सकती है ,समाज में सम्मान मिल सकता है आदि। यह सब बातें रेनू और उसके पिताजी को भी ठीक नहीं लगे। पिताजी ने उनसे कहा कि बी० ए० करो क्योंकि मैं कह रहा हूं। इस प्रकार से सहज भाव से कहने पर रेणु ने बी० ए० कर लिया। इन बातों से स्पष्ट होता है कि डराने-धमकाने उपदेश देने या दबाव डालने की अपेक्षा सहजता से किसी से कोई भी काम करवाया जा सकता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
लेखिका की बहन रेनू बी० ए० की परीक्षा न देने पर गई थी। वह बार-बार यही कहती थी कि पहले मुझे समझाओ कि बी० ए०. करना जरूरी क्यों है। इसके बाद ही मैं बी० ए० करूंगी। सब ने उनको अपने अपने तर्क दिए पर वह नहीं मानी। उनके पिताजी न्यू उन्हें समझाया कि बी ए करके उन्हें नौकरी मिल सकती है, अच्छी शादी हो सकती है ,समाज में सम्मान मिल सकता है आदि। यह सब बातें रेनू और उसके पिताजी को भी ठीक नहीं लगे। पिताजी ने उनसे कहा कि बी० ए० करो क्योंकि मैं कह रहा हूं। इस प्रकार से सहज भाव से कहने पर रेणु ने बी० ए० कर लिया। इन बातों से स्पष्ट होता है कि डराने-धमकाने उपदेश देने या दबाव डालने की अपेक्षा सहजता से किसी से कोई भी काम करवाया जा सकता है।
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डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है। यह बात हमें लेखिका की माता द्वारा चोर के पकड़े जाने पर उसके साथ किए गए व्यवहार से पता चलता है। चोर के पकड़े जाने पर लेखिका की माँ ने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया, बल्कि उससे सेवा ली और अपना पुत्र बना लिया।
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