डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है - पाठ के आधार पर तर्क-सहित उत्तर दीजिए ।
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मेरे संग की औरतें में बताया गया है कि दृढ़ विश्वास और सहज व्यवहार मनुष्य के सबसे प्रभावी अस्त्र हैं। अगर कोई सगा संबंधी गलत राह पर हो तो उसे उपदेश देने, दबाव डालने या डराने धमकाने की जगह उसके साथ सहजता से व्यवहार करना चाहिए। लेखिका की नानी ने अपने पति की अंग्रेज़ भक्ति का मुखर विरोध नहीं किया और न समर्थन किया। वे जीवन भर अपने आदर्शों पर अटल रहीं। परिणामस्वरूप अवसर आने पर वे अपना मनवांछित कार्य कर सकीं।
लेखिका की माता का चोर के साथ व्यवहार, सहजता का अनोखा उदाहरण है। उन्होंने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया बल्कि उससे सेवा ली और उसे अपना पुत्र बना लिया। उन्होंने उसे उपदेश नहीं दिया और उसे अपनी इच्छानुसार चोरी करने या खेती करने के काम को चुनने के लिए कहा। उनकी इस सहज भावना से चोर परिवर्तित हो गया। उसने सदा के लिए चोरी छोड़ दी और खेती करने लगा।
Answer:
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है। यह बात हमें लेखिका की माता द्वारा चोर के पकड़े जाने पर उसके साथ किए गए व्यवहार से पता चलता है। चोर के पकड़े जाने पर लेखिका की माँ ने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया, बल्कि उससे सेवा ली और अपना पुत्र बना लिया। उसके पकड़े जाने पर उसने उसे उपदेश भी नहीं दिया। उसने इतना ही कहा – अब तुम्हारी मर्जी – चाहे चोरी करो या खेती। उसकी इस सहज भावना से चोर का ह्रदय परिवर्तित हो गया। उसने सदा के लिए चोरी छोड़ दी और खेती को अपना लिया। यदि शायद वे चोर के साथ बुरा बर्ताव या मारपीट करती तो चोर सुधरने के बजाए और भी गलत रास्ते पर चल पड़ता ।