Date Page व पाठशाला से घर आते समय पाठशाला में होनेवाली गतिविधियों के बारे में दो मित्र के बीच होनेवाल्या वातलिाप अपने शब्दों में लियो।
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प्रभात – अरे पल्लव! यह सामान कैसे बिखरा हुआ है?
पल्लव – दुकानदार ने घटिया थैलियों में सामान दे दिया था। उसके टूटते ही सारा सामान बिखर गया।
प्रभात – इसमें दुकानदार की क्या गलती है ?
पल्लव – फिर किसकी गलती है?
प्रभात – गलती तुम्हारी है। तुम घर से थैला लेकर क्यों नहीं आए?
पल्लव – इन प्लास्टिक की थैलियों में सामान लाने में क्या नुकसान है?
प्रभात – नुकसान है। ये प्लास्टिक की थैलियाँ पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं।
पल्लव – वो कैसे?
प्रभात – देखो, प्लास्टिक आसानी से सड़-गलकर मिट्टी में नहीं मिलता है। वह सालों-साल मिट्टी में बना रहता है। इससे ज़हरीली गैसें निकलती हैं।
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