Hindi, asked by dipakmehar2303, 6 months ago

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मीरा बाई के पद लिखिछ​

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Answered by anmol05200
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Answer:

1 ) माई री! मै तो लियो गोविन्दो मोल।

कोई कहे चान, कोई कहे चौड़े, लियो री बजता ढोल।।

कोई कहै मुन्हंगो, कोई कहे सुहंगो, लियो री तराजू रे तोल।

कोई कहे कारो, कोई कहे गोरो, लियो री आख्या खोल।।

याही कुं सब जग जानत हैं, रियो री अमोलक मोल।

मीराँ कुं प्रभु दरसन दीज्यो, पूरब जन्म का कोल।।

  • ✨✨मीरा बाई के पद का हिन्दी अर्थ✨✨

इस पद में मीरा बाई अपनी सखी से कहती हैं- माई मेने श्री कृष्ण को मोल ले लिया हैं। कोई कहता हैं, अपने प्रियतम को चुपचाप बिना किसी को बताए पा लिया हैं। कोई कहता हैं, खुल्लम खुला सबके सामने मोल लिया हैं।

मै तो ढोल-बजा बजाकर कहती हूँ बिना छिपाव दुराव सभी के सामने लिया हैं। कोई कहता हैं, तुमने सौदा महंगा लिया हैं तो कोई कहता हैं सस्ता लिया हैं। अरे सखी मेने तो तराजू से तोलकर गुण अवगुण देखकर मौल लिया हैं। कोई काला कहता हैं तो कोई गोरा मगर मैने तो अपनी आँखों को खोलकर यानि सोच समझकर कृष्ण को खरीदा हैं।

2). मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई।

जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।।

✨✨मीरा बाई के पद का हिन्दी अर्थ✨✨

इस दोहे में मीराबाई जी कहती हैं की मेरे तो मात्र श्री कृष्ण हैं जिन्होंने उंगली पे पर्वत उठाकर गिरधर नाम पाया उनके अलावा मैं किसी को अपना नहीं मानती। जिनके मस्तक पर मोर मोकुट शोभित है वही हैं मेरे पति।

3). मन रे परसी हरी के चरण।

सुभाग शीतल कमल कोमल।

त्रिविध ज्वालाहरण।

जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण।

जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण।

जिन चरण प्रभु परसी लीन्हे करी गौतम करण।

जिन चरण फनी नाग नाथ्यो गोप लीला करण।

जिन चरण गोबर्धन धर्यो गर्व माधव हरण।

दासी मीरा लाल गिरीधर आगम तारण तारण।

मीरा मगन भाई।

लिसतें तो मीरा मगनभाई।।

✨✨✨✨✨✨

इस दोहे में मीराबाई जी कहती हैं कि उनका मन हमेशा ही श्री कृष्ण के चरणों में तल्लीन हैं| ऐसे श्री हरि जिनका मन शीतल और चरणों में ध्रुव हैं| जिनके चरणों में पूरा ब्रम्हांड और शेष नाग हैं| जिन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था| ये दासी मीरा का मन उसी हरी के चरणों, उनकी लीलाओं में लगा हुआ हैं|

इस दोहे में मीराबाई जी कहती हैं कि उनका मन हमेशा ही श्री कृष्ण के चरणों में तल्लीन हैं| ऐसे श्री हरि जिनका मन शीतल और चरणों में ध्रुव हैं| जिनके चरणों में पूरा ब्रम्हांड और शेष नाग हैं| जिन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था| ये दासी मीरा का मन उसी हरी के चरणों, उनकी लीलाओं में लगा हुआ हैं|

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