Hindi, asked by henaashraf023, 2 months ago

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व्याकरण-निबंध
"फुरसत के क्षण"

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Answered by Anonymous
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Answer:  ढूंढता हूं मैं फुर्सत के पल

दौड़ती-भागती सी जिंदगी

जाने क्यों मची है हलचल

शायद कहीं तो मिल जाए इनका हल

यह जिंदगी तो बीत ही जानी है

आज नहीं तो कल

ढूंढता हूं मैं फुर्सत के पल

कोई भाग रहा है पैसे के पीछे

कोई जा पहुंचा है शिखर पर

ना जाने कितनों को रौंदकर पैरों के नीचे

क्यों इंसान बना जा रहा है इंसान का दुश्मन

कोई कीमत नहीं जिंदगी की यहां पर

मरते हुए को भी देखकर पलट जाते हैं लोग

सब ने मचा रखी है चला चल

बरस रही है आफत धरा पर

पीने को पानी नहीं मिलता सूखे पड़े हैं नल

कोई खुशामद में मशरूफ है कोई सरहद पर शहीद कोई बेचता अपना जमीर

लोग बनते उसी के मुरीद कोई भर रहा इस गुलिस्तानं में जहर

कहीं मर रहा किसान गरीबों पर टूटता कहर

कोई करता पुण्य तो कोई पाप में गया गल

उलझी पड़ी है जिंदगी जिसमें

ढूंढता हूं मैं फुर्सत के पल

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