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आधुनिकता तनव का करण है
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आधुनिक जीवन की सबसे बड़ी बीमारी तनाव है। इस बीमारी का शिकार व्यक्ति चाहकर भी सुख और आनंद का अनुभव नहीं कर सकता। डॉक्टर और मनोचिकित्सक कहते हैं कि तनाव तमाम बीमारियों का कारण है। फिर भी आदमी तनाव में जाने से स्वयं को नहीं बचा पाता। जीवन में इंसान न चाहते हुए भी बार-बार तनाव में चला जाता है। कभी परिवारजनों की अपेक्षा के कारण, कभी समाज और कार्यक्षेत्र के कारण, कभी शिक्षा और रोजगार के कारण। कुछ लोग तो इतना झल्ला जाते हैं कि जीवन को ही समाप्त कर देने की ठान लेते हैं। तनाव को तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं-शारीरिक तनाव, मानसिक तनाव और भावनात्मक तनाव। शारीरिक तनाव कभी किन्हीं परिस्थितियों में लाभदायी भी हो सकता है। कोई काम आवश्यक रूप से करना है। वह नहीं हो पा रहा है तो आदमी तनावग्रस्त होकर उसे चुनौती मान लेता है और अपनी सारी ऊर्जा उसमें लगाकर वह काम संपन्न कर लेता है। व्यायाम आदि की स्थिति में मांसपेशियों को तनाव देना पड़ता है। इन सब स्थितियों में तनाव लाभदायी हो सकता है, किंतु अत्यधिक शारीरिक तनाव भी हानिकर सिद्ध होता है।