CBSE BOARD XII, asked by colonelpriyank123, 10 months ago

debate on "shaheed sainiko ke parivaar ki government help kyu nhi krti" against mein btao in hindi please....

Answers

Answered by bagmanish
29

Answer:

kyu ki wo kitno ki madad kare

Answered by vanshkumar68
3

Answer:

pls mark me

Explanation:

14 फरवरी को दोपहर 3.30 पर पुलवामा में CRPF के काफिले पर आतंकी हमला हुआ, जिसमें 40 जवानों की जान गई. और तभी से एक पुरानी बहस ने दोबारा सिर उठा लिया. कि सरकार इन्हें ‘शहीद’ का दर्जा देगी कि नहीं. सोशल मीडिया पर ये खूब लिखा गया कि सरकार Army, navy और air force के मामले में तो जवानों को ‘शहीद’ का दर्जा देती है, लेकिन अर्धसैनिक बलों – माने BSF, ITBP, CRPF वगैरह के जवानों को ‘शहीद’ नहीं माना जाता. कई लोगों को ये भी लगता है कि अगर सरकार किसी शख्स को शहीद का दर्जा देदे, तो उसके परिवार वालों को कई सुविधाएं मिलने लगती हैं. इसी आधार पर मांग की जाने लगी कि सरकार अपने नियमों में बदलाव करे और CRPF के इन 40 जवानों को भी ‘शहीद’ का दर्जा दे.

आसान भाषा में आज यही समझाएंगे कि सरकार की भाषा में देश के लिए जान देने वाले जवानों के लिए कौनसे शब्द इस्तेमाल होते हैं. साथ ही इस सवाल को भी टटोलेंगे कि क्या सरकार सचमुच फौजियों को शहीद मानती है लेकिन सीआरपीएफ वालों को नहीं.

सवाल 1-सेना और अर्धसैनिक बलों में फर्क क्या होता है?

आम आदमी के लिए चितकबरी वर्दी और बंदूक वाला हर आदमी फौजी होता है. लेकिन भारत में सेना का मतलब सिर्फ और सिर्फ सेना, नौसेना और वायुसेना है. ये तीनों रक्षा मंत्रालय के अधीन आते हैं. और भारत के राष्ट्रपति इनके सुप्रीम कमांडर होते हैं. सेना का मुख्य काम बाहरी खतरों से निपटना है. जैसे युद्ध. लेकिन चूंकि सेना के पास उम्दा ट्रेनिंग और साज़ो-सामान होता है, उसे किसी इमरजेंसी में भी सिविल सरकार की मदद के लिए बुलाया जाता है. जैसे मेघालय की रैट होल माइन के गहरे पानी में मज़दूर फंसे, तो नौसेना को बुलाया गया. उत्तराखंड त्रासदी के बाद लोग पहाड़ों पर फंसे तो वायुसेना और आर्मी को बुलाया गया. सेना अपने लिए बनाए नियमों के तहत ही काम करती है. सरकार सेना में और सेना सरकार में दखल से सख्त परहेज़ करते हैं.

कुछ फोर्स ऐसी भी होती हैं, जिन्हें एक खास मकसद के लिए बनाया गया. जैसे शांति के समय सीमा की रक्षा. मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों के लिए बीएसएफ और पहाड़ी इलाकों के लिए ITBP. नेपाल के साथ दोस्ती है, तो वहां अलग तरह की फोर्स है – सशस्त्र सीमा बल माने एसएसबी. फिर देश के अंदर होने वाले हमलों से निपटने के लिए बार-बार सेना को बुलाना एक गलत संदेश देता है. इसीलिए आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए खास ट्रेनिंग वाली एनएसजी बनाई गई. इसी तरह देश में कुल सात अर्धसैनिक बल बने. चार के नाम हमने बता दिए. बाकी ये रहे –

Assam Rifles

CISF

CRPF (जो कि सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है)

इन सभी को मिलाकर CAPF – central armed police forces कहा जाता है. भारत में अर्धसैनिक बलों की सबसे बड़ी तादाद मौजूद है. ये सभी सीधे केंद्रिय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करते हैं और गृहमंत्री इनके लिए ज़िम्मेदार होते हैं.

देश में तमाम लोग सेना और अर्धसैनिक बलों को एक ही समझ लेते हैं. फाइल फोटो. इंडिया टुडे.  

देश में तमाम लोग सेना और अर्धसैनिक बलों को एक ही समझ लेते हैं. फाइल फोटो. इंडिया टुडे.

सवाल 2 – क्या सेना में मरने वालों को शहीद कहा जाता है?

आपको याद होगा पिछले दिनों सरकारी रिकॉर्ड में भगत सिंह को शहीद का दर्जा न होने की बात चल पड़ी थी. फिर कहीं से ये बात उछाल दी गई कि शहीद का टैग रक्षा मंत्रालय देता है. भगत सिंह का केस मंत्रालय के अधीन आया नहीं, इसलिए उन्हें दर्जा भी नहीं मिला. ये दोनों बातें भ्रामक हैं. दर्जनों RTI के जवाब में सरकार इसका जवाब दे चुकी है. दिसंबर 2017 में भारत सरकार ने केंद्रीय सूचना आयोग को बताया कि सरकार सेना, अर्धसैनिक बल या पुलिस के मामले में ‘शहीद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करती है. रक्षा मंत्रालय ने किसी को शहीद कहने के लिए आज तक कोई नोटिफिकेशन नहीं निकाला.

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