Deep poem on Life in hindi.... please
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जिंदगी की आपाधापी में कब हमारी उम्र निकली पता ही नहीं चला|
कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे कब कंधे तक आ गए पता ही नहीं चला|
किराए के घर से शुरू हुआ सफर कब अपने घर तक आ गया पता ही नहीं चला|
साइकिल के पैडल मारते हुए हाँफते थे उस वक्त, कब गाड़ियों में घूमने लगे, पता ही नहीं चला|
हरे भरे पेड़ों से भरे हुए जंगल थे तब, कब हुए कंक्रीट के पता ही नहीं चला|
कभी थे जिम्मेदारी मां बाप की हम, कब बच्चों के लिए हुए जिम्मेदार हम पता ही नहीं चला|
एक दौर था जब दिन में भी बेखबर सो जाते थे कब रातों की नींद उड़ गई पता ही नहीं चला|
बनेंगे हम भी मां बाप यह सोचकर कटता नहीं था वक्त कब हमारे बच्चे बच्चों वाले हो गए पता ही नहीं चला|
जिन काले घने बालों पर इतराते थे हम कब उनको रंगना शुरू कर दिया पता ही नहीं चला|
दर दर भटकते थे नौकरी की खातिर कब रिटायर होने का समय आ गया पता ही नहीं चला|
बच्चों के लिए कमाने-बचाने में इतने मशगूल हुए हम, कब बच्चे हमसे हुए दूर पता ही नहीं चला|
भरे-पूरे परिवार में सीना चौड़ा रखते थे हम, कब परिवार हम दो पर ही सिमट गया पता ही नहीं चला
ज़िन्दगी की धूप-छाँव
कभी गम, तो कभी खुशी है ज़िन्दगी
कभी धूप, तो कभी छाँव है ज़िन्दगी . . . . . . .
विधाता ने जो दिया, वो अद्भुत उपहार है ज़िन्दगी
कुदरत ने जो धरती पर बिखेरा वो प्यार है ज़िन्दगी . . . . . .
जिससे हर रोज नये-नये सबक मिलते हैं
यथार्थों का अनुभव कराने वाली ऐसी कड़ी है ज़िन्दगी . . . . . .
जिसे कोई न समझ सके ऐसी पहेली है ज़िन्दगी
कभी तन्हाइयों में हमारी सहेली है ज़िन्दगी . . . . . . .
अपने-अपने कर्मों के आधार पर मिलती है ये ज़िन्दगी
कभी सपनों की भीड़, तो कभी अकेली है जिंदगी . . . . . . .
जो समय के साथ बदलती रहे, वो संस्कृति है जिंदगी
खट्टी-मीठी यादों की स्मृति है ज़िन्दगी . . . . . . . .
कोई ना जान कर भी जान लेता है सबकुछ, ऐसी है ज़िन्दगी
तो किसी के लिए उलझी हुई पहेली है ज़िन्दगी . . . . . . . .
जो हर पल नदी की तरह बहती रहे ऐसी है जिंदगी
जो पल-पल चलती रहे, ऐसी है हीं ज़िन्दगी . . . . . . . .
कोई हर परिस्थिति में रो-रोकर गुजारता है ज़िन्दगी
तो किसी के लिए गम में भी मुस्कुराने का हौसला है ज़िन्दगी . . . . . .
कभी उगता सूरज, तो कभी अधेरी निशा है ज़िन्दगी
ईश्वर का दिया, माँ से मिला अनमोल उपहार है ज़िन्दगी . . . . . . . .
तो तुम यूँ हीं न बिताओ अपनी जिंदगी . . . . . . . .
दूसरों से हटकर तुम बनाओ अपनी जिंदगी
दुनिया की शोर में न खो जाए ये तेरी जिंदगी . . . . . . .
जिंदगी भी तुम्हें देखकर मुस्कुराए, तुम ऐसी बनाओ ये जिंदगी
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