Math, asked by Angela99, 1 year ago

Deep poem on Life in hindi.... please​


Angela99: sorry it's hindi. not math. by mistaken ly
PriteshBang: hii
Angela99: hlo

Answers

Answered by aaryantoma
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Answer:

जिंदगी की आपाधापी में कब हमारी उम्र निकली पता ही नहीं चला|

कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे कब कंधे तक आ गए पता ही नहीं चला|

किराए के घर से शुरू हुआ सफर कब अपने घर तक आ गया पता ही नहीं चला|

साइकिल के पैडल मारते हुए हाँफते थे उस वक्त, कब गाड़ियों में घूमने लगे, पता ही नहीं चला|

हरे भरे पेड़ों से भरे हुए जंगल थे तब, कब हुए कंक्रीट के पता ही नहीं चला|

कभी थे जिम्मेदारी मां बाप की हम, कब बच्चों के लिए हुए जिम्मेदार हम पता ही नहीं चला|

एक दौर था जब दिन में भी बेखबर सो जाते थे कब रातों की नींद उड़ गई पता ही नहीं चला|

बनेंगे हम भी मां बाप यह सोचकर कटता नहीं था वक्त कब हमारे बच्चे बच्चों वाले हो गए पता ही नहीं चला|

जिन काले घने बालों पर इतराते थे हम कब उनको रंगना शुरू कर दिया पता ही नहीं चला|

दर दर भटकते थे नौकरी की खातिर कब रिटायर होने का समय आ गया पता ही नहीं चला|

बच्चों के लिए कमाने-बचाने में इतने मशगूल हुए हम, कब बच्चे हमसे हुए दूर पता ही नहीं चला|

भरे-पूरे परिवार में सीना चौड़ा रखते थे हम, कब परिवार हम दो पर ही सिमट गया पता ही नहीं चला


Angela99: Thank u dear
Answered by PriteshBang
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ज़िन्दगी की धूप-छाँव

कभी गम, तो कभी खुशी है ज़िन्दगी

कभी धूप, तो कभी छाँव है ज़िन्दगी . . . . . . .

विधाता ने जो दिया, वो अद्भुत उपहार है ज़िन्दगी

कुदरत ने जो धरती पर बिखेरा वो प्यार है ज़िन्दगी . . . . . .

जिससे हर रोज नये-नये सबक मिलते हैं

यथार्थों का अनुभव कराने वाली ऐसी कड़ी है ज़िन्दगी . . . . . .

जिसे कोई न समझ सके ऐसी पहेली है ज़िन्दगी

कभी तन्हाइयों में हमारी सहेली है ज़िन्दगी . . . . . . .

अपने-अपने कर्मों के आधार पर मिलती है ये ज़िन्दगी

कभी सपनों की भीड़, तो कभी अकेली है जिंदगी . . . . . . .

जो समय के साथ बदलती रहे, वो संस्कृति है जिंदगी

खट्टी-मीठी यादों की स्मृति है ज़िन्दगी . . . . . . . .

कोई ना जान कर भी जान लेता है सबकुछ, ऐसी है ज़िन्दगी

तो किसी के लिए उलझी हुई पहेली है ज़िन्दगी . . . . . . . .

जो हर पल नदी की तरह बहती रहे ऐसी है जिंदगी

जो पल-पल चलती रहे, ऐसी है हीं ज़िन्दगी . . . . . . . .

कोई हर परिस्थिति में रो-रोकर गुजारता है ज़िन्दगी

तो किसी के लिए गम में भी मुस्कुराने का हौसला है ज़िन्दगी . . . . . .

कभी उगता सूरज, तो कभी अधेरी निशा है ज़िन्दगी

ईश्वर का दिया, माँ से मिला अनमोल उपहार है ज़िन्दगी . . . . . . . .

तो तुम यूँ हीं न बिताओ अपनी जिंदगी . . . . . . . .

दूसरों से हटकर तुम बनाओ अपनी जिंदगी

दुनिया की शोर में न खो जाए ये तेरी जिंदगी . . . . . . .

जिंदगी भी तुम्हें देखकर मुस्कुराए, तुम ऐसी बनाओ ये जिंदगी

If it helps please mark me in Brainleist..

(◕‿◕)


Angela99: Thanks bro
PriteshBang: hi
Angela99: hlo
PriteshBang: where r u from..???
Angela99: Earth
PriteshBang: oh..
PriteshBang: in which class u r studying..???
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