Dehradun Himalaya ke kis bhag me uplabdh hai
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देहरादून, भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी है इसका मुख्यालय देहरादून नगर में है। इस जिले में ६ तहसीलें, ६ सामुदायिक विकास खंड, १७ शहर और ७६४ आबाद गाँव हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ १८ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ कोई नहीं रहता।[1] देश की राजधानी से २३० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह नगर अनेक प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। यहाँ तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आदि जैसे कई राष्ट्रीय संस्थान स्थित हैं। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज और इंडियन मिलिटरी एकेडमी जैसे कई शिक्षण संस्थान हैं।[2] यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली के कारण देहरादून पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और विभिन्न क्षेत्र के उत्साही व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशिष्ट बासमती चावल, चाय और लीची के बाग इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ाते हैं तथा शहर को सुंदरता प्रदान करते हैं।
देहरादून
— महानगर —
देहरादून रेलवे स्टेशन
देहरादून रेलवे स्टेशन
Map of उत्तराखंड with देहरादून marked
भारत के मानचित्र पर उत्तराखंड अंकित
Location of देहरादून
देहरादून
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश
Flag of India.svg भारत
राज्य
उत्तराखंड
मुख्यमन्त्री
मेजर जन. (रिटा.) अति विशिष्ट सेवा मैडल. भुवन चंद्र खंडूरी
जनसंख्या
• घनत्व
१२,७९,०८३ (२००१ के अनुसार )
• ४१४
क्षेत्रफल
• ऊँचाई (AMSL)
३०८८.०० कि.मी²
• ६३५ मीटर
विभिन्न कोड
• पिनकोड • २४८००x
• दूरभाष • +०१३५
आधिकारिक जालस्थल: dehradun.nic.in
इतिहास देहरादून दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है। इसमें देहरा शब्द को डेरा का अपभ्रंश माना गया है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र रामराय इस क्षेत्र में आए तो अपने तथा अनुयायियों के रहने के लिए उन्होंने यहाँ अपना डेरा स्थापित किया।[3] कालांतर में नगर का विकास इसी डेरे का आस-पास प्रारंभ हुआ। इस प्रकार डेरा शब्द के दून शब्द के साथ जुड़ जाने के कारण यह स्थान देहरादून कहलाने लगा।[3] कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि देहरा शब्द स्वयं में सार्थकता लिए हुए है, इसको डेरा का अपभ्रंश रूप नहीं माना जा सकता है। देहरा शब्द हिंदी तथा पंजाबी में आज भी प्रयोग किया जाता है। हिंदी में देहरा का अर्थ देवग्रह अथवा देवालय है, जबकि पंजाबी में इसे समाधि, मंदिर तथा गुरुद्वारे के अर्थो में सुविधानुसार किया गया है। इसी तरह दून शब्द दूण से बना है और यह दूण शब्द संस्कृत के द्रोणि का अपभ्रंश है। संस्कृत में द्रोणि का अर्थ दो पहाड़ों के बीच की घाटी है। यह भी विश्वास किया जाता है कि यह पूर्व में ऋषि द्रोणाचार्य का डेरा था।
इतिहास
मुख्य लेख: देहरादून का इतिहास
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का गौरवशाली इतिहास अनेक पौराणिक गाथाओं एवं विविध संस्कृतियों को अपने आगोश में समेटे हुए है। रामायण काल से देहरादून के बारे में विवरण आता है कि रावण के साथ युद्ध के बाद भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण इस क्षेत्र में आए थे। द्रोणाचार्य से भी इस स्थान का संबंध जोड़ा जाता है।[4]. इसी प्रकार देहरादून जिले के अंतर्गत ऋषिकेश के बारे में भी स्कंद पुराण में उल्लेख है कि भगवान विष्णु ने दैत्यों से पीड़ित ऋषियों की प्रार्थना पर मधु-कैटभ आदि राक्षसों का संहार कर यह भूमि ऋषियों को प्रदान की थी। पुराणों मे देहरादून जिले के जिन स्थानों का संबंध रामायण एवं महाभारत काल से जोड़ा गया है उन स्थानों पर प्राचीन मंदिर तथा मूर्तियाँ अथवा उनके भग्नावशेष प्राप्त हुए हैं। इन मंदिरों तथा मूर्तियों एवं भग्नावशेषों का काल प्राय: दो हजार वर्ष तथा उसके आसपास का है। क्षेत्र की स्थिति और प्राचीन काल से चली आ रही सामाजिक परंपराएँ, लोकश्रुतियाँ तथा गीत और इनकी पुष्टि से खड़ा समकालीन साहित्य दर्शाते हैं कि यह क्षेत्र रामायण तथा महाभारत काल की अनेक घटनाओं का साक्षी रहा है। महाभारत की लड़ाई के बाद भी पांडवों का इस क्षेत्र पर प्रभाव रहा और हस्तिनापुर के शासकों के अधीनस्थ शासकों के रूप में सुबाहु के वंशजों ने यहां राज किया। यमुना नदी के किनारे कालसी में अशोक के शिलालेख प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफी संपन्न रहा होगा। सातवीं सदी में इस क्षेत्र को सुधनगर के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी देखा था। यह सुधनगर ही बाद में कालसी के नाम से पहचाना जाने लगा। कालसी के समीपस्थ हरिपुर में राजा रसाल के समय के भग्नावशेष मिले हैं जो इस क्षेत्र की संपन्नता को दर्शाते हैं। देहरादून पर इस ओर से महमूद गजनवी, १३६८ में तैमूरलंग, १७५७ में रूहेला सरदार नजीबुद्दौला]और १७८५ में गुलाम कादिर के गंभीर हमले हुए। १८०१ तक देहरादून में अव्यवस्था बनी रही। १८१६ के बाद अंग्रेज़ों ने इस पर विजय प्राप्त की और अपने आराम के लिए १८२७-१८२८ में लंढोर और मसूरी शहर बसाए। १९७० के दशक में इसे गढ़वाल मंडल में शामिल किया गया। सन २००० में उत्तरप्रदेश से अलग होकर बने उत्तरांचल और अब उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को बनाया गया। राजधानी बनने के बाद इस शहर का निरंतर विकास हो रहा है।
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