delhi war memorial national one in hindi
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उमड़ रहा है युवाओं का हुजूम
गुड़गांव में रहने वाले कियान अफ्रीका में नौकरी करते हैं। वह कुछ दिनों के लिए अपने घर आए थे। शुक्रवार की सुबह उन्हें वापसी की फ्लाइट पकड़नी थी। इसलिए गुरुवार की शाम तैयारी भी खूब करनी थी। लेकिन फिर भी वह इंडिया गेट के सामने नैशनल वॉर मेमोरियल तक आए। लखनऊ से आए एनसीसी कैडेट पवन तिवारी ठीक उस वक्त पहुंचे जब गेट बंद हो रहा था, जब उन्होंने अपना एनसीसी कार्ड दिखाया और सेना में जाने की इच्छा जताते हुए गुजारिश की तो उन्हें एंट्री मिल गई। आलम यह है कि पहले जहां लोग इंडिया गेट चहलकदमी के लिए आते थे, वहीं अब लोग खासतौर पर वॉर मेमोरियल देखने आ रहे हैं।
शहीदों को समर्पित, वॉर मैमोरियल
'यहां आना ही था, देश से जो जुड़ा हूं'
नैशनल वॉर मेमोरियल न सिर्फ दिल्ली, बल्कि पूरे देश के लोगों को आकर्षित कर रहा है। यही कारण है कि न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर, बल्कि पूरे देश से लोग यहां आ रहे हैं। अफ्रीका वापस लौटने से पहले यहां आए कियान ने बताया, 'कल जाना है, तो तैयारी तो खूब करनी है, लेकिन यह नहीं पता कि अगली बार कितने दिन बाद आऊंगा। हो सकता है कि एक साल बाद आऊं। इसलिए वापस जाने से पहले ही वॉर मैमोरियल आना चाहता था।' डेनियल भी देश से बाहर ही नौकरी करते हैं। यहां आने का कारण वह बताते हैं, 'लोग सीमा पर हमारे लिए जान दे देते हैं, तो क्या हम उनके बारे में जानने के लिए थोड़ी दूर नहीं आ सकते हैं। भले ही मैं देश से बाहर नौकरी करता हूं, लेकिन अपने देश की मिट्टी से भी तो जुड़ा हूं। इसलिए मुझे यहां आना ही था।' लखनऊ से आए पवन तिवारी कहते हैं, 'मैं एनसीसी कैडेट हूं और सेना में भर्ती होना चाहता हूं। यह वॉर मेमोरियल मेरे लिए मंदिर की तरह है। मैं यहां कल फिर आऊंगा, क्योंकि आज मैं इन वॉर के बारे में डिटेल से पढ़ नहीं पाया। अब घर जाकर भी इनके बारे में पढ़ूंगा।' इस मेमोरियल में आए ऋषभ दूबे देहरादून में पढ़ते हैं और नेवी में भर्ती का एग्जाम देने के लिए दिल्ली आए थे। वह कहते हैं, 'मैं खुद सेना में भर्ती होना चाहता हूं। अगर जान देनी पड़ी, तो पीछे नहीं हटूंगा। मेरी ये फीलिंग्स अब और ज्यादा मजबूत हो ग