Describe the distribution of rainfall in india in hindi
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भारत में औसत वर्षा 125 सेंटीमीटर होती है। जिसमें 75 प्रतिशत दक्षिणी-पश्चमी मानसून (जून से सितंबर),13 प्रतिशत उत्तरी-पूर्वी मानसून (अक्टूबर से दिसंबर),10 प्रतिशत मानसून पूर्व स्थानीय चक्रवातों द्वारा (अप्रैल से मई) तथा 2 प्रतिशत पश्चिमी विक्षोभ (दिसंबर से फरवरी) के कारण होती है। पश्चिमी घाट व उत्तरी-पूर्वी भारत 400 सेंटीमीटर वर्षा प्राप्त करते हैं।जबकि राजस्थान का पश्चिमी भाग 60 सेंटीमीटर तथा इससे सटे गुजरात, हरियाणा व पंजाब भी कामों-बेस न्यून वर्षा ही प्राप्त करते हैं। वर्षा में भारी कमी सामान्यतः दक्कन पठार के आंतरिक भाग में व सह्याद्रि के पूर्वी भाग में होती है। जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में भी वर्षा काफी कम होती है तथा देश के अन्य भागों में सामान्यतः अच्छी वर्षा होती है। भारत के उत्तरी सीमा पर हिमालय स्थित होने के कारण इन क्षेत्रों में भी भारी वर्षा होती है।
मानसून की प्रकृति के वजह से प्रतिवर्ष, वर्षा की दर में हमेशा परिवर्तन होता रहता है।राजस्थान, गुजरात तथा पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग में जहाँ निम्न वर्षा होती है वार्षिक औसत वर्षा में भी भारी कमी पायी जाती है।इस तरह से जहाँ उच्च वर्षा होती है वहाँ बाढ़ तथा निम्न वर्षा वाले क्षेत्र में सुखाड़ की संभावना बानी रहती है।
मानसून की प्रकृति के वजह से प्रतिवर्ष, वर्षा की दर में हमेशा परिवर्तन होता रहता है।राजस्थान, गुजरात तथा पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग में जहाँ निम्न वर्षा होती है वार्षिक औसत वर्षा में भी भारी कमी पायी जाती है।इस तरह से जहाँ उच्च वर्षा होती है वहाँ बाढ़ तथा निम्न वर्षा वाले क्षेत्र में सुखाड़ की संभावना बानी रहती है।
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