Desh Bhakti se sambandhit Koi Ek Kahani please answer this question in hindi fast please
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नमस्कार
चलिए आज एक देशभक्ति की कहानी सुनाता हूँ, ध्यान से सुनिये गा, धन्यवाद
जम्मू एवं कश्मीर भारत का स्वर्ग लेकिन उतना ही खतरनाक भी यह इलाका काफी संवेदनशील है यहां आए दिन भारतीय सेना और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच मुठभेड़ होती रहती है
यह कहानी उसी प्रांत की है
हमारी कहानी का मुख्य पात्र एक 14 साल का लड़का है जिसका नाम शमशाद आलम है। शमशाद अपनी अम्मी अब्बू के साथ रहता है और स्कूल से आने के बाद वह अपने अब्बू का काम में हाथ बंटाता है। उसके अब्बू की एक छोटी सी किराना की दुकान है जिसमें वह होम डिलीवरी भी करते हैं। और शमशाद अपने खाली वक्त में अपने अब्बू के लिए डिलीवरी करने जाता है।
हर रोज की तरह शमशाद जब डिलीवरी करने के लिए जाता है तब वह देखता है कि कुछ संवेदनशील इंसान बॉर्डर के उस पार से आ रहे हैं उनके हाथ में बड़े-बड़े थैले हैं और उन्होंने अपने चेहरे को पूरी तरह से ढक रखा है। शमशाद को उन पर संदेह होता है और वह झुक कर उनका पीछा करने लगता है।
थोड़ी देर तक उनका पीछा करने के बाद वह उनके अड्डे पर पहुंच जाता है। वहां पहुंचकर वह देखता है कि यहां पर और भी कई लोग हैं और उनके पास बड़े बड़े हथियार हैं।
शमशाद वहां थोड़ी देर रुक कर उनकी बातें सुनने लगता है। शमशाद उनकी बातें सुनकर हैरान हो जाता है उसे पता चलता है कि यह लोग आतंकवादी हैं और उन्होंने घाटी में बहुत बड़ा धमाका करने की योजना बनाई है। शमशाद काफी डर जाता है और चाहता है कि वहां से जल्दी से भाग जाए और जाकर भारतीय सेना को बता दे।
लेकिन जब शमशाद वहां से भाग रहा होता है तो अचानक उसे पीछे से आवाज आती है रुको, आवाज सुनकर शमशाद भयभीत हो जाता है और उसे अंदेशा हो जाता है कि यह उन्ही में से कोई व्यक्ति है जिसने उसे भागते हुए देख लिया है।
शमशाद आवाज को अनसुना किए बिना भागने लगता है तभी पीछे से उसे गोली चलने की आवाज आती है और साथ ही एक चेतावनी भरी आवाज आती है, " रुक जाओ वरना मैं तुम्हें गोली मार दूंगा"
चेतावनी सुनकर शमशाद वहीं रुक कर विचार करने लगता है कि "अगर आज मैं समय पर भारतीय सेना के पास नहीं पहुंचा तो कई लोग अपनी जान गवा देंगे मुझे कुछ भी कर कर आज उन्हें बताना होगा",
लेकिन तभी दूसरा विचार भी उसके मन में आता है कि अगर वह नहीं रुका तो वह उसे गोली मार देंगे
काफी सोचने के बाद शमशाद यह फैसला करता है कि मेरी एक जान चली जाए तो कोई बात नहीं लेकिन कई और लोगों की जान मैं बचा कर रहूंगा।
और शमशाद वहां से भागने लगता है तभी पीछे से एक और गोली चलने की आवाज आती है और गोली सीधा उसके कंधे को छूकर निकल जाती है लेकिन बहादुर शमशाद भागना बंद नहीं करता है और दौड़ते-दौड़ते वह भारतीय सेना के पास पहुंच कर उन आतंकवादियों की सारी सूचनाएं दे देता है।
उसके पश्चात भारतीय सेना उस जगह पर जाती है और उन सब आतंकवादियों को मौत के घाट उतार देती है और शमशाद को उसकी बहादुरी के लिए सम्मानित करती है।
और अगले 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा उसे वीरता पुरस्कार प्रदान किया जाता है शमशाद के माता पिता काफी पसंद है और अपने बेटे पर उन्हें गर्व है।
आशा है आपको कहानी पसंद आई हो
mark as brinliest if possible
चलिए आज एक देशभक्ति की कहानी सुनाता हूँ, ध्यान से सुनिये गा, धन्यवाद
जम्मू एवं कश्मीर भारत का स्वर्ग लेकिन उतना ही खतरनाक भी यह इलाका काफी संवेदनशील है यहां आए दिन भारतीय सेना और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच मुठभेड़ होती रहती है
यह कहानी उसी प्रांत की है
हमारी कहानी का मुख्य पात्र एक 14 साल का लड़का है जिसका नाम शमशाद आलम है। शमशाद अपनी अम्मी अब्बू के साथ रहता है और स्कूल से आने के बाद वह अपने अब्बू का काम में हाथ बंटाता है। उसके अब्बू की एक छोटी सी किराना की दुकान है जिसमें वह होम डिलीवरी भी करते हैं। और शमशाद अपने खाली वक्त में अपने अब्बू के लिए डिलीवरी करने जाता है।
हर रोज की तरह शमशाद जब डिलीवरी करने के लिए जाता है तब वह देखता है कि कुछ संवेदनशील इंसान बॉर्डर के उस पार से आ रहे हैं उनके हाथ में बड़े-बड़े थैले हैं और उन्होंने अपने चेहरे को पूरी तरह से ढक रखा है। शमशाद को उन पर संदेह होता है और वह झुक कर उनका पीछा करने लगता है।
थोड़ी देर तक उनका पीछा करने के बाद वह उनके अड्डे पर पहुंच जाता है। वहां पहुंचकर वह देखता है कि यहां पर और भी कई लोग हैं और उनके पास बड़े बड़े हथियार हैं।
शमशाद वहां थोड़ी देर रुक कर उनकी बातें सुनने लगता है। शमशाद उनकी बातें सुनकर हैरान हो जाता है उसे पता चलता है कि यह लोग आतंकवादी हैं और उन्होंने घाटी में बहुत बड़ा धमाका करने की योजना बनाई है। शमशाद काफी डर जाता है और चाहता है कि वहां से जल्दी से भाग जाए और जाकर भारतीय सेना को बता दे।
लेकिन जब शमशाद वहां से भाग रहा होता है तो अचानक उसे पीछे से आवाज आती है रुको, आवाज सुनकर शमशाद भयभीत हो जाता है और उसे अंदेशा हो जाता है कि यह उन्ही में से कोई व्यक्ति है जिसने उसे भागते हुए देख लिया है।
शमशाद आवाज को अनसुना किए बिना भागने लगता है तभी पीछे से उसे गोली चलने की आवाज आती है और साथ ही एक चेतावनी भरी आवाज आती है, " रुक जाओ वरना मैं तुम्हें गोली मार दूंगा"
चेतावनी सुनकर शमशाद वहीं रुक कर विचार करने लगता है कि "अगर आज मैं समय पर भारतीय सेना के पास नहीं पहुंचा तो कई लोग अपनी जान गवा देंगे मुझे कुछ भी कर कर आज उन्हें बताना होगा",
लेकिन तभी दूसरा विचार भी उसके मन में आता है कि अगर वह नहीं रुका तो वह उसे गोली मार देंगे
काफी सोचने के बाद शमशाद यह फैसला करता है कि मेरी एक जान चली जाए तो कोई बात नहीं लेकिन कई और लोगों की जान मैं बचा कर रहूंगा।
और शमशाद वहां से भागने लगता है तभी पीछे से एक और गोली चलने की आवाज आती है और गोली सीधा उसके कंधे को छूकर निकल जाती है लेकिन बहादुर शमशाद भागना बंद नहीं करता है और दौड़ते-दौड़ते वह भारतीय सेना के पास पहुंच कर उन आतंकवादियों की सारी सूचनाएं दे देता है।
उसके पश्चात भारतीय सेना उस जगह पर जाती है और उन सब आतंकवादियों को मौत के घाट उतार देती है और शमशाद को उसकी बहादुरी के लिए सम्मानित करती है।
और अगले 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा उसे वीरता पुरस्कार प्रदान किया जाता है शमशाद के माता पिता काफी पसंद है और अपने बेटे पर उन्हें गर्व है।
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shadira:
thank you very much
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