Hindi, asked by hiteshleo4659, 11 months ago

Desh ka gaurav sainik essay

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Answered by snehkadyan14
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हर देश के सैनिक उस देश की शान होते हैं। यह देश के रक्षक होते हैं जो शरहद पर रहकर देश की रक्षा करते हैं। इनमें देशभक्ति कूट कूट कर भरी होती है और यह अपनी मातृभूमि को सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। सैनिक देश की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर देते हैं। सैनिक देश और देश की रक्षा के लिए न हीं रेगिस्तार की तपती धरती देखते हैं और न हीं पहाड़ो की सर्दी देखते हैं। वह खराब से खराब हालात में भी शरहद पर चौकन्ना होकर खड़े रहते हैं|

सैनिक त्योहारों पर भी अपने घर नहीं जा पाते हैं। उनके लिए सभी देशवासी उनका परिवार हैं। हम सभी लोग बिना किसी चिंता के खुशहाली से अपना जीवन सिर्फ सैनिकों की वजह से जी रहे हैं। हम सब जानते हैं कि सैनिक बाहरी मुसीबतों को हम तक आने से पहले ही रोक देते हैं। वह दुश्मनों का डटकर मुकाबला करते हैं और अपनी अंतिम श्वास तक उनका हिम्मत से सामना करते हैं। सैनिक बहुत ही इमानदार और बहादुर होते हैं। सैनिक त्योरारों के दिनों में और भी ज्यादा चौकन्ना हो जाते हैं और सावधानीपूर्वक खड़े रहते हैं। देश के अंदर भी जब कोई बड़ी मुसीबत आती है तो सैनिकों को ही बुलाया जाता है। देश की सुरक्षा में सैनिकों का महत्वपूर्ण योगदान है।

सैनिकों का जीवन बहुत ही कष्टदायक होता है और वह अपने लिए नहीं बल्कि देश के लिए जीते हैं और खुशी खुशी अपनी मातृभूमि के लिए प्राण भी त्याग देते हैं। सैनिक सबसे ज्यादा सम्मान के पात्र है और इनके परिवार वालों को भी सभी सुख सुविधाएँ दी जानी चाहिए जो हमेशा अपने परिवार की सदस्य की राह देखते रहते हैं। सैनिकों का जीवन हर समय खतरे से घिरा रहता है और मौत कहीं से भी सामने आ सकती है लेकिन सैनिकों में बिल्कुल भी डर नहीं होता बल्कि वह गर्व से मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद होने को अपना सौभाग्य मानते हैं।

Answered by samruddhi63
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किसी भी राष्ट्र का गौरव उसकी राष्ट्रभाषा से जुड़ा होता है। राष्ट्र की एकता व अखंडता के लिए राष्ट्रभाषा की महत्ती आवश्यकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब भारत को एक राष्ट्रभाषा से सुशोभित करने की बात आई तो इस बहु भाषायी देश को कुछ कटु अनुभवों का सामना करना पड़ा। यह कहना है प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. केके शर्मा का। वे विद्यापीठ के हिंदी विभाग में आयोजित हिंदी सप्ताह के दौरान गुरुवार को आयोजित व्याख्यानमाला में बोल रहे थे। प्रख्यात साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीनारायण नंदवाना ने भी संबोधित किया।

सुविवि में आज कई कार्यक्रम : सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। विभागाध्यक्ष प्रो. माधव हाड़ा ने बताया कि 12 सितंबर को भारतीय भाषाओं में काव्य-पाठ का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में दोपहर 11 बजे होगा। विभाग ने ’हिन्दी में सिनेमा’ शीर्षक से एक निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया है। 16 सितम्बर को ’विमर्श’ कार्यक्रम के तहत ’हिन्दी का लोक वृत’ विषय पर संवाद का आयोजन किया जाएगा।

20 रा'यों के 151 विशिष्टजनों का सम्मान कल : हल्दीघाटी स्थित महाराणा प्रताप संग्रहालय में 14 सितंबर को राष्ट्रीय साहित्य, कला, संस्कृति परिषद द्वारा संग्रहालय परिसर में 20 रा'यों के 151 विशिष्टजनों को साहित्यरत्न, शिक्षा भूषण, महाकवि कालिदास सम्मान, महाराणा प्रताप राष्ट्रीय एकता सम्मान, महाकवि माघ ऋषि सम्मान, विवेकानंद सम्मान एवं भक्त शिरोमणि मीरा सम्मान प्रदान किया जाएगा।

संग्रहालय के प्रबंध निदेशक भूपेन्द्र श्रीमाली ने बताया कि इस कार्यक्रम में देश के 151 गणमान्य साहित्यकार, इतिहासज्ञ एवं शिक्षाविदों को विविध अलंकरणों से सम्मानित किया जाएगा। समारोह की अध्यक्षता राजसमंद जिला कलेक्टर डॉ. प्रीतम बी. यशवंत करेंगे एवं मुख्य अतिथि सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. आई.वी.त्रिवेदी होंगे। उदयपुर से सम्मानित होने वाले डॉ. के.एस.गुप्ता, डॉ. भगवती लाल व्यास, डॉ. महेन्द्र भाणावत, डॉ. इन्द्र प्रकाश श्रीमाली, पुरुषोत्तम पल्लव, श्रेणीदान चारण, डॉ. श्रीकृष्ण‘जुगनू‘, कैलाश बिहारी वाजपेयी, सत्यदेव श्रीमाली, तारा दीक्षित एवं विमला भंडारी हैं।

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