desh ka prati hmara kartvaya par anuchad
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भारत एक धार्मिक, सांस्कृतिक और परंपरागत देश हैं और विवधता में एकता के लिये प्रसिद्ध हैं। हांलाकि, इसे विकास के लिये स्वच्छ, भ्रष्टाचार, सामाजिक संघर्षों, महिलाओं के खिलाफ अपराधों, गरीबी, प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिंग आदि के अन्त के लिये अपने नागरिकों के और अधिक प्रयासों की आवश्यकता हैं। लोगों को सरकार पर चिल्लाने और दोषी ठहराने के स्थान पर देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को समझना चाहिये। देश की वृद्धि एवं विकास के लिये सभी व्यक्ति व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदार हैं। लोगों को लाओं तुज़ के प्रसिद्ध कथन,“हजारों कोसो की यात्रा एक कदम से शुरु होती हैं।” को कभी नहीं भूलना चाहिये। सभी को अपने मौलिक कर्त्तव्यों के बारे में जानकारी रखनी चाहिये और उन्हें नजरअंदाज किये बिना अनुकरण करना चाहिये। देश के अच्छे और जिम्मेदार नागरिक होने के कारण, सभी को अपने कर्त्तव्य वफादारी से निभाने चाहिये जैसे:लोगों को सरकार के बनाये हुये सभी नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिये। उन्हें प्राधिकरणों का आदर करना चाहिये और कोई नियम नहीं तोड़ना चाहिये साथ ही साथ दूसरों को भी ऐसा करने के लिये प्रेरित करना चाहिये।
उन्हें अपने खिलाफ किसी भी अपराध को सहन नहीं करना चाहिये और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिये। उन्हें समाज को नकारात्मक प्रभाव से बचाते हुये अपने सभी नागरिक और सामाजिक कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए।
उन्हें जरुरतमंद लोगों के लिये समाधान उपलब्ध कराने चाहिये, बुद्धिमत्ता पूर्ण मतदान करना चाहिये और अपने सभी करों का भुगतान समय पर करना चाहियें।
उन्हें समाज के हित के लिये आर.टी.आई. और आर.टी.ई. जैसे अधिनियमों की मदद लेनी चाहिये।
सभी को अपने चारों ओर साफ-सफाई रखने के लिये स्वच्छता अभियान में भाग लेना चाहिये। उन्हें बच्चों को बेकार वस्तुओं को कूड़ेदान में डालना और सार्वजनिक वस्तुओं की देखभाल करना सिखाना चाहिये।
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