desh ki azadi - meri jimmedari ......essay on this topic in hindi [mimimu 300 words ]
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मेरी मरजी का मतलब दादागीरी कतई नहीं है। मेरी आजादी के मायने दूसरे की आजादी में दखल देना नहीं हैं। मेरी मरजी के मायने हैं कि मैं अपनी तरह की जिंदगी जीना चाहता हूं। मेरी आजादी का मतलब है कि मैं अपने फैसले खुद लेने को आजाद हूं। अपनी राह चुनने की आजादी मुझे है। अब किसी के आगे अड़ जाना या किसी को मजबूर कर देना, उसमें कहां से आ गया?
‘अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं।’ कहीं किसी घर से छन कर आवाज आ रही है। समझ जाता हूं कि 15 अगस्त आसपास है। आज हम आजाद हैं। कितनी बड़ी खुशी है एक आजाद देश में सांस लेना। हमारे पुरखे इसे कहीं ज्यादा समझते होंगे। उन्होंने गुलाम देश में जन्म लिया और देश को आजाद होते देखा। हम तो आजाद देश में सांस ले रहे हैं। हालांकि ऊपर वाला मुखड़ा देश की आजादी के लिए था। लेकिन एक व्यक्ति के तौर पर मुझे वह बेहद अपील करता है। एक होती है देश की आजादी। और दूसरी आजादी है व्यक्ति की। देश की आजादी के बिना व्यक्ति की आजादी की कल्पना भी नहीं हो सकती। लेकिन उस देश में रहने वाले हम सबको भी तो आजादी का एहसास होना चाहिए। मेरी आजादी की भी तो कीमत है। और इसका मोल कतई कम नहीं हो सकता।
क्या है मेरी आजादी?
देश की आजादी के मायने हैं अपना राज। सो, मेरी आजादी के मायने हुए मेरा राज। यानी अपने पर अपना राज। जैन धर्म की यह उक्ति अक्सर जेहन से नहीं उतरती। निज पर शासन, फिर अनुशासन। हम पहले अपने पर तो शासन कर लें। फिर दूसरों पर शासन करने की सोचें। यही सब सोचते हुए एक जुमला याद आता है, मेरी मरजी। यानी मेरी आजादी है, मेरी मरजी। हम जब कहते हैं मेरी मरजी, तब उसके क्या मायने होते हैं? यही कि मेरी जिंदगी मेरे हिसाब से चलेगी। मैं अपने फैसले खुद लूंगा। उनकी पूरी जिम्मेदारी भी मैं ही लूंगा। हम अक्सर यह तो चाहते हैं कि मेरी मरजी चले, पर जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते। ‘यह तुम्हारा फैसला है और उसकी पूरी जिम्मेदारी तुम्हारी है।’ यह कहते ही तस्वीर बदल जाती है।
यह जिंदगी मेरी है। उसके फैसले मेरे हैं। उसकी जिम्मेदारी मेरी है। उसकी अच्छाई-बुराई मेरी है। अगर कामयाबी नहीं भी मिली, तो मैं किसी को कोसूंगा नहीं। यही मेरी आजादी है। हमारे एक दोस्त अचानक आए और बोले, ‘यार, बहुत गुलामी हो गई, अब मैं अपने लिए जीऊंगा। मेरी मरजी चलेगी अब।’ मैंने हंस कर कहा, ‘आजाद देश में ऐश कर रहे हो, फिर ऐसी बातें ।’ खैर मैं सोचता रहा कि ये अब तक किसके लिए जी रहे थे?
अपनी राह चुनना
हम अगर किसी और के लिए जी रहे हैं, तो उसकी जिम्मेदारी भी तो हमारी ही है। अगर हमने परिवार के लिए अपने को होम कर दिया है, तो यह फैसला किसका था? अगर किसी दोस्त के लिए कोई कुर्बानी कर दी है, तो वह दोस्त किसका है? और वह फैसला किसी और ने लिया था क्या? अगर फैसला किसी और ने लिया था, तो हमने उसका विरोध क्यों नहीं किया? सो, मेरी मरजी या मेरी आजादी का मतलब है कि जिंदगी जीने की आजादी। अपनी जिंदगी की राह चुनने की आजादी। ‘द ऑरिजिन ऑफ चॉइसेज’ के मशहूर लेखक डॉ. कर्ट कार्लसन मानते हैं, ‘हमारी जिंदगी में सबसे बड़ी चीज है, हमारी चुनने की आजादी। उसके बिना हम आजादी की बात नहीं कर सकते।’ यानी हमें अपनी जिंदगी की राह खुद चुननी चाहिए। यही आजादी है।
जिंदगी में हमेशा हाइवे नहीं मिलते
हम एक राह चुनते हैं। यह हमारा फैसला होता है। उस राह में तमाम नदी, नाले, पहाड़, खाइयां सब आएंगे। हमेशा हाइवे ही नहीं मिलते जिंदगी में। हाइवे भी मिलते हैं, तो हमेशा गाड़ी टॉप गियर में ही नहीं चलती। कभी रेंग-रेंग कर भी चलती है। कभी देर तक अटकी भी रहती है। बहुत देर तक आप गाड़ी भी बंद नहीं कर सकते। न वापस लौट सकते हैं और न गाड़ी बंद कर सकते हैं। मंजिल पर पहुंचना है, तो धीरज भी रखना होता है। रफ्तार कम ज्यादा हो सकती है। लेकिन रुकने का सवाल नहीं। यही जिंदगी के साथ भी होता है। हम एक राह चुनते हैं। हमने चुनाव कर लिया। रास्ता तय हो गया। मंजिल तय हो गई। अब हमें चल पड़ना है। उस रास्ते में आनेवाली तमाम बाधाओं को पार करना है। हमें हार नहीं मान लेनी। उसके लिए मेहनत करनी है। वह सब करना है, जो रास्ते के लिए जरूरी होता है। हमें भरपूर तैयारी कर लेनी है। यही हमारी मरजी की कीमत है।
दूसरे के हक का भी रखें ध्यान
अब जो भी कीमत है, वह चुकानी ही है। यह नहीं हो सकता कि मरजी हमारी हो और रास्ते को रोते रहें। मंजिल तक पहुंचने की काबिलियत खुद में जगाई नहीं और इस-उस को कोस रहे हैं। मेरी मरजी और मेरी आजादी के सही मायने यही हैं कि मुझे दूसरे की मरजी का भी ख्याल रखना है। मैं अपनी मरजी चलाना चाहता हूं, तो यह हक दूसरे को भी तो है। न मैं चाहता हूं कि कोई मुझ पर कुछ थोपे। और न मैं किसी पर अपने को थोपना चाहता हूं। यही तो अपनी अपनी आजादी है।
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