Desh ki pragati par nibandh
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मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्तियां पढ़कर किस व्यक्ति के मन में एक अजीब सी हलचल उत्पन्न नहीं होगी और देश के लिए देश की उन्नति के लिए मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा जागृत नहीं होती इसी के तहत हमारे देश भारत में जिसके सिर पर हिमालय रूपी मुकुट है जो नदी और प्राकृतिक संपदाओं के बदौलत हमारे देश की उन्नति में अग्रसर है।
देश की उन्नति हमारी उन्नति
हमारा भारत देश की उन्नति हम पर ही निर्भर करती है हमें हमारे देश की उन्नति पर महत्व देते हुए सबसे पहले हमारे क्या कर्तव्य है यह समझना जरूरी एक व्यक्ति उन्नति उसके राष्ट्र उसकी स्वयं की उन्नति है इसके लिए सबसे पहले तो हमारे क्या कर्तव्य है ये समझना होगा आर्थिक विकास में वृद्धि, अनुशासन ,अच्छी शिक्षा, हमारे देश की गरीबी को मिटाने ,सभी राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को मिटाना जरूरी है सभी के आदर की भावना रखकर वोट डालने जाना सभी वह कार्य जो देश की उन्नति में बाधा पहुंचाते हैं उन्हें खत्म करना वह बाधाएं खत्म होगी तभी देश और हमारी उन्नति संभव है।
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