desh ki Raksha Mein tathpar bahadur sipahiyon ke yogdan ke bare mein likhiye
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Explanation:
में भर्ती होकर अनेक बार वीरता का लोहा मनवाया है। देश की सीमा पर तैनात होकर भारत माता की रक्षा करने का गौरव विरलों को मिलता है। भारत माता की रक्षा का जिम्मा सैनिकों के साथ साथ देश के प्रत्येक वर्ग के हवाले है। सभी को पूरी निष्ठा एवं जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए। युवाओं को नशे से दूर रहना चाहिए। शहीद सैनिकों के नाम पर गांवों के स्कूल ही नहीं सड़कें भी बननी चाहिए। ऐसे सैनिकों की वीरता के किस्से गांवों में बाकायदा सूचना पट पर होने चाहिए। इससे युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन मिलेगा। जब हम अपने देश पर शहीद हो गए सैनिकों के बारे में जानते और सुनते हैं तो हमारा सिर ऊंचा हो जाता है। आखिर वह अपने देश के मान और सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहूति जो दी है। हम सभी को सेना का सम्मान और उसके द्वारा किए जा रहे कार्यो पर गर्व करना चाहिए। वही अच्छा नागरिक होता है जो देश की प्रतिष्ठा को अपनी प्रतिष्ठा समझता है। जब तक हमारे अंदर देशसेवा की भावना नहीं है हम पूर्ण मनोयोग से देशसेवा नहीं कर सकते हैं।
--- घनश्याम सिंह, प्रधानाचार्य चंद्रशेखर आजाद इंटर कालेज
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देश सेवा का जज्बा हमें बनाता है महान
देश के बहादुर सैनिक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश की सीमाओं की निगरानी करते हैं। समर्पण और देशभक्ति की भावना से देश में शाति और स्थिरता बनाए रखने में अपना योगदान देते हैं। ऐसे वीर सैनिकों का हम सभी का सम्मान और सलाम करना चाहिए। जो देशसेवा में नित लगे हुए हैं। इन्हीं वीर जवानों के कारण हमारे देश की रक्षा हो रही है। विद्यार्थियों को सेना के जवानों से प्रेरणा लेनी चाहिए। अक्सर विद्यार्थी देर तक सोते रहते हैं जबकि सीमा की ड्यूटी में लगे जवान चौबीस घंटे मुस्तैद होकर अपनी डयूटी देते हैं। सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वह अपने कार्य को ईमानदारी पूर्वक करें। चाहे जिस सेक्टर में हो वह अपने कार्य को जब ठीक प्रकार से करते हैं तो यही देशसेवा है। प्रत्येक शिक्षक का दायित्व है कि वह अपने विद्यार्थियों को संयमित जीवन, निडरता और राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना जगाए। सैनिक बनने की भावना को जागृत करें। शिक्षक देश के बहादुर सैनिकों का उदाहरण देते हुए बच्चों में आत्म सम्मान, त्याग, कर्तव्यनिष्ठा, देशप्रेम एवं अनुशासन जैसे गुणों का विकास करने का प्रयास करें। जब कभी कोई प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप या सुनामी आ जाती है, तो भी सैनिकों का विशेष तौर पर योगदान रहता है, जिन्हें विद्यार्थियों के लिए आदर्श माना जा सकता है। जमशेदजी मानेकशॉ ने 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भारत के सिर पर जीत का सेहरा बांधा था। उनको उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए गोरखा रेजीमेंट ने सैम बहादुर की उपाधि प्रदान की। वह अपनी अलग पहचान के लिए जाने जाते थे। विद्यार्थियों को सैम बहादुर के द्वारा किए गए कार्यो से प्रेरणा लेनी चाहिए। देश भक्ति का जज्बा ही हमें देश भक्ति की सेवा के लिए प्रेरित करता है। शिक्षक का दायित्व है कि वह अच्छे विद्यार्थी तैयार कर देशसेवा कर सकता है। उसके द्वारा तैयार किए गए विद्यार्थी जब अच्छा कार्य करते हैं तो वह सच्ची देशसेवा होती है। जरूरी नहीं कि हम सैनिक बन कर ही देशसेवा करें। बल्कि देश के विकास में हर स्तर से सहयोग सैनिक होने का परिचय दे सकते हैं।
-- इंद्राणी गुप्ता, प्रधानाचार्या जगत तारन गोल्डेन जुबिली स्कूल
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शिक्षकों के बोल
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जमशेदजी मानेकशॉ को अपने जीवन में तमाम उपलब्धिया प्राप्त हुई। 1973 में फिल्ड मार्शल का मानद पद से अलंकृत हुए। इन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था। यह हमारे जीवन में उदाहरण के रूप में हैं। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। यह हमारे देशहित के लिए जरूरी है।
--- इंद्रदेव पांडेय
हमें अपने सेना, सैनिक तथा सिपाही के कार्य पर उंगली नहीं उठानी चाहिए। देश की सेवा बड़े कठिन परिस्थितियों में रहकर करते हैं। यह हमेशा देश की रक्षा के लिए अपना जीवन न्यौछावर करते हैं। हमारे देश के सैनिक इस प्रकार से सीमा की रक्षा करते हुए अपने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हैं।
--- दीनानाथ शुक्ला
भारत जैसे देश में इतना विराट व्यक्तित्व का फील्ड मार्शल होना बड़ी बात है। उन्होंने पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों को समर्पण के लिए तो विवश किया ही, उसके बाद आदेश दिया कि किसी भी पाक सैनिक के साथ कोई दुर्व्यवहार न किया जाए। इसका असर यह हुआ कि पाकिस्तान लौटे सैनिकों ने उनकी प्रशसा की। भारत ऐसे ही अफसरों की वजह से आज भी विश्व गुरु है और उसकी विश्व में अलग पहचान है। उन्होंने हमेशा सेना का गौरव बढ़ाया और युद्ध में भी भारतीय सेना ने उनके नेतृत्व में जौहर दिखाया।
--- दिनेशमणि मिश्रा
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विद्यार्थियों के बोल
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सैनिकों की वीरता की अमरगाथा देश के नौनिहालों को सुनाने के लिए अभिभावकों और स्कूलों को अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए। शहीदों की उनकी उपलब्धियों की जानकारी देनी चाहिए। इससे बच्चों को पता लग सकेगा कि जिस देश में वे चैन की सांस ले रहे हैं, इस आजादी को कायम रखने के लिए कितने सैनिकों ने अपना लहू बहाया है। यह आजादी हमें बहुत मुश्किलों से मिली है। इसका महत्व समझना चाहिए।
-- शिखा
जब भारत चीन से हार गया तो सैम मानेकशॉ को बिजी कौल के स्थान पर चौथी कोर की कमान दी गई। पद संभालते ही वह सीमा पर पहुंचे और सैनिकों से कहा कि आज के बाद आप में से कोई भी सैनिक तब तक पीछे नहीं हटेगा, जब तक लिखित में आदेश न मिले। ऐसा ही जज्बा सभी का देशसेवा के प्रति होना चाहिए।
--- हिमांशु
Answer:
जब तक हमारे अंदर देशसेवा की भावना नहीं है हम पूर्ण मनोयोग से देशसेवा नहीं कर सकते हैं। देश के बहादुर सैनिक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश की सीमाओं की निगरानी करते हैं। समर्पण और देशभक्ति की भावना से देश में शाति और स्थिरता बनाए रखने में अपना योगदान देते हैं। ... इन्हीं वीर जवानों के कारण हमारे देश की रक्षा हो रही है