Desh Mein ladkiyon ke gatati jansankhya ke sambandh mein Dainik Jagran ke sampadak ko Patra likhiye
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सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
कस्तूरबा गाँधी मार्ग,
नई दिल्ली।
विषय: देश में लड़कियों की घटती जनसंख्या पर चिंता जताने हेतु पत्र।
श्रीमान जी,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यमसे देश में निरंतर लड़कियों की घटती जनसंख्या की ओर प्रशासनऔर सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाना चाहता हूँ।लड़कों कीचाहत में लोग कन्या भ्रूण को गर्भ में ही मरवा देते हैं। उन्हें बस पुत्रकी कामना होती है। लड़की का जन्म उनके लिए परेशानियों काकारण होता है। किसी घर में यदि दो बेटों के बाद एक बेटी होजाए, तो भी लोग प्रसन्न नहीं होते। लोग लड़के की कामना में तबतक गर्भपात करवाते रहते हैं, जब तक की भ्रूण लड़का न हो। हमइस सत्य को नज़र अंदाज़ कर देते हैं कि पुत्र कामना के चक्कर मेंहम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए विषमताएँ पैदा कर रहे हैं।
प्रकृति ने अपनी बनाई दुनिया में संतुलन कायम किया हुआ है।परन्तु हमने उसके संतुलन को सदैव नष्ट ही किया है। जितनेलडकों का जन्म होता है, उसके पीछे उतनी ही लड़कियों का भीजन्म होना आवश्यक है। इस तरह दोनों की संख्या में संतुलनकायम होता है। विवाह परंपरा परिवार को बढ़ाने और जीवनसाथीका साथ पाने के लिए की जाती है। परन्तु यदि लड़के ही जन्मलेते रहेंगे, तो भविष्य में इनके बीच बहुत बड़ा असंतुलन पैदा होजाएगा। लड़कों को विवाह के लिए कन्या ही नहीं मिलेगी। इसके कारण घर परिवार की बढ़ोतरी नहीं होगी। जिस वंश को चलाने केलिए लोग पुत्र कामना करते हैं। उनका ही वंश समाप्ति की कगारपर आ जाएगा। जो बची हुई लड़कियाँ होगीं, उन्हें भी कठिनाइयोंका सामना करना पड़ सकता है। उनकी अस्मिता के लिए उन्हेंसंघर्ष करना पड़ेगा। समाज में अराजकता और हिंसा का बोलबाला हो जाएगा। लोग लड़कियों की कमी को समझनाआरंभ कर देंगे। परन्तु तब परिस्थितियाँ उनके हाथ से निकलचुकी होंगी। जो लोग पुत्र होने पर गर्व महसूस करते हैं, उन्हेंविवाह योग्य कन्या के लिए जगह-जगह हाथ फैलाना पड़ेगा। हमें चाहिए कि इस तरह की समस्या आने से पहले उस समस्या को समाप्त कर दिया जाए।
आपसे निवेदन है कि अपने समाचार पत्र में इसे प्रकाशित कर प्रशासन व सरकार का ध्यान दिलाएँ ताकि वे ऐसे उपाय करें,जिससे इस प्रकार की घटनाओं को होने से पहले ही रोका जा सके।
धन्यवाद,
भवदीय,
चाँद