Hindi, asked by sonam294955, 1 year ago

detail jeevan parichay Harishankar parsai in Hindi detail​

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Answered by rishav7284
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Answer:

18 साल की कम उम्र में ही इन्होंने वन विभाग में अपनी सेवा देेना प्रारम्भ कर दिया था। वन विभाग में अपनी सेवा देने के साथ ही साथ ये सन् 1942 में मॉडल हाई स्कूल में अध्यापन का भी कार्य करने लगे थे। कुछ समय बाद इन्होंने वन विभाग की नौकरी से त्याग पत्र दे दिया क्योंकि इनका मन इस नौकरी में नही लगा।

नौकरी से त्याग पत्र देने के बाद इन्होंने 1943 से 1947 तक प्राइवेट स्कूलों में अध्यापन का कार्य प्रारंभ कर दिया था। स्कूलों में अध्यापन के साथ ही साथ हिंदी साहित्य की सेवा करने के लिए साहित्य सृजन का भी कार्य करने लगे थे।

लेकिन दोनों काम एक साथ करने में समस्या होने के कारण इन्होंने स्कूलों में अध्यापन का कार्य भी छोड़ दिया। उसके बाद परसाई जी हिंदी साहित्य की सेवा करने के लिए केवल साहित्य सृजन के कार्य में लग गए। हरिशंकर परसाई जी हिंदी साहित्य जगत में मुख्य रूप से एक व्यंगकार के रूप में विख्यात हैं।

इनकी व्यंग्य की रचनाएं लोगों के लिए सिर्फ मनोरंजन का स्रोत ही नहीं है बल्कि सामाजिक वास्तविकताओं से भी हमारी पहचान कराती है जिनसे मनुष्य कभी भी अलग नहीं हो सकता। उन्होंने सामाजिक अंधविश्वास और रूढ़िवादी जीवन के मूल्यों का मजाक बनाते हुए उसे अपनी रचनाओं के माध्यम से बहुत ही सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है

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