Hindi, asked by vedanti2442, 8 months ago

'ढोल के बोल सुहावने ' अपने विचार लिखिए।​

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Answered by jatingigulia67
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Explanation:

द फाल ऑफ़ ए डायनेस्टी, दिल्ली १८५७” किताब के लेखक जाने-माने इतिहासकार विलियम डेरिम्पल के अनुसार पश्चिमी मीडिया के यह सोच ही गलत है कि भारत की तरक्की अपने आप में कोई ‘चमत्कार’ है। उनकी राय में तो यह एक बार फिर दुनिया भर के कारोबार की पुरानी परंपराओं पर लौटना मात्र है।

भारत में कुछ लोग अपने देश में भौतिक साधनों की बहुलता के चलते इतने भ्रमित हो गये हैं कि उन्हें विश्व के विकसित देशों की मुक़ाबले अपने देश का विकास अत्यंत नगण्य लगता है और कभी पहले सोवियत सोवियत संघ, जर्मनी और जापान जैसा अपने देश को बनाने का विचार आता था तो अब भारत को चीन और अमेरिका जैसा बनाने की बात चल रही है। सबसे बड़ी बात यह है जिन लोगों ने अंग्रेजी पढी है और लिखना भी सीख लिया है उन्हें अपना देश हमेशा अविकसित और पिछडा ही दिखाई देता है- उनके लिए विकास का अर्थ है केवल आर्थिक और भौतिक विकास ही है।

भारत की प्राचीन परंपराएं और संस्कार उनके लिए भोंदूपन का परिचायक है-ऐसे लोग यह जानने का प्रयास ही नहीं करते कि विश्व में भारत का सम्मान उसकी उन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं की वजह से है जिससे भौतिकता से उपजे तनाव में शांति की स्थापना होती है। भगवान् श्री राम और श्री कृष्ण के चरित्र पर आज भी विकसित राष्ट्रों में शोध चल रहे हैं और उनके संदेशों को नये संदर्भों में भी उतना उपयुक्त पाया गया है जितना प्राचीन समय में देखा जाता था। भगवान महावीर, बुद्ध और गुरूनानक जीं के संदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक है, यह बात विदेश के विद्वान कह रहे है और हमारे देश के कुछ विद्वान लोगों को यहाँ अंधविश्वास, कुरीतिया और पिछडापन ही दिखाई देता है।

विकास!बस विकास! देश में भौतिक साधनों के कबाडे को एकत्रित करना ही विकास का परिचायक नहीं हो सकता। कबाडा मैंने इसलिये कहा क्योंकि हर वस्तु का मोडल तीन माह में पुराना हो जाता है। एक साल में नयी तकनीकी आ जाती है और अपने घर में रखी चीज ही कबाड़ दिखाई देती है। लोग कहते हैं कि चीन ने बहुत विकास किया है और उसकी चीजें बहुत सस्ती हैं। मैं उस दिन अपने घर की सफाई कर रहा था तो मैंने देखा के अनेक चीनी वस्तुओं का कबाड़ उनमें भरा पडा था। उसकी कई चीजे जो मैं सस्ती और उपयोगी समझ कर ले आया था वह एक या दो दिन और अधिक से अधिक एक सप्ताह चलीं थीं। उससे आठ गुना महंगी भारतीय वस्तुएं आज भी अपनी काम दे रहीं है। तब मुझे लगता है कि वास्तव में विश्वसनीयता ही भारत की पहचान है और मुझे इस पर गर्व होता है।

आज जो भारत का स्वरूप है वह हमारी पुरानी पीढ़ियों के परिश्रम, तपस्या और मनोबल के कारण है न कि किसी विदेशी राष्ट्र की कृपा से है। यहाँ के लोगों ने शिक्षा प्राप्त कर विदेश में नाम कमाया है और उन देशों की सेवा की है पर क्या किसी देश ने हमें परमाणु, अन्तरिक्ष या किसी अन्य क्षेत्र में हमें तकनीकी ज्ञान दिया है? कतई नहीं। अनेक भारतीय वैज्ञानिक अमेरिका की सेवा कर रहे है यहाँ उनकी इस बात पर गर्व करते हैं पर क्या अमेरिका ने कभी हमें संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता दिलवाने का वादा किया है ? नहीं, वह ऐसा नहीं करेगा। अभी भी भारत का नाम इस मामले में प्रस्तावित नहीं है । अगर सदस्यता मिली भी तो बिना वीटो पॉवर के मिलेगी जो कि अभी भी बहुत दूर है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी महत्ता खो चूका है और वह अमेरिका की जेबी संस्था बन कर रह गया है।

विकास केवल भौतिक ही नहीं होता वरन मानसिक शांति और और आध्यात्मिक ज्ञान होना भी उसका एक भाग है-और इस विषय में भारत का एकाधिकार है यही वजह है कि भारत को विश्व में आध्यात्म गुरू कहा जाता है। अनेक भारतीयों ने पश्चिम में जाकर आर्थिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में भारी-भरकम उपलब्धि प्राप्त की है पर फिर भी इस देश की छबि उनके कारण नहीं वरन महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद , रामकृष्ण परमहंस और महर्षि अरविंद जैसे मनीषियों और विद्वानों के संदेशों से है-पूरा विश्व उनके संदेशों को मान्यता देता है। भौतिक विकास एक सामयिक आवश्यकता होता है पर आध्यात्मिक और मानसिक शांति के बिना उसका कोई लाभ नहीं होता। जो लोग इस देश को पश्चिम की अवधारणाओं पर चलाना चाहते हैं उन्हें यह बात समझ लेना चाहिए कि गरीबी , अशिक्षा, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी वहां भी हैं और इसी कारण कुछ पश्चिमी देशों में विदेशियों पर हमले भी होते हैं क्योंकि वहाँ के मूल निवासियों को लगता है कि उन लोगों ने उनके अधिकारों का हनन किया है।

वैसे भी अपने देश में कहा जाता है कि दूर के ढोल सुहावने-इस उक्ति को ध्यान में रखते हुए अपने देश को किसी पश्चिमी देश की स्वरूप में ढाँचे देखने की इच्छा करने की बजाये अपने ही आध्यात्मिक ज्ञान और संस्कारों के साथ प्राचीन विज्ञान को नये संदर्भों में व्याख्या करना चाहिऐ।

Answered by Army12345678910
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sorry I don't know the answer of your question

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