ढग हे आकाशात तरंगतात. भैगोलिक कारने
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तरंग-कण द्वैतता अथवा तरंग-कण द्वित्व सिद्धान्त के अनुसार सभी पदार्थों में कण और तरंग दोनों के ही लक्षण होते हैं। आधुनिक भौतिकी के क्वाण्टम यान्त्रिकी क्षेत्र का यह एक आधारभूत सिद्धान्त है। जिस स्तर पर मनुष्यों की इन्द्रियाँ दुनिया को भाँपती हैं, उस स्तर पर कोई भी वस्तु या तो कण होती है या तरंग होती है, लेकिन एक साथ दोनों नहीं होते।[1] परमाणुओं के बहुत ही सूक्ष्म स्तर पर ऐसा नहीं होता और यहाँ भौतिकी समझने के लिए पाया गया कि वस्तुएँ और प्रकाश कभी तो कण की प्रकृति दिखाती हैं और कभी तरंग की।
इस समय स्थिति बड़ी विलक्षण है। कुछ घटनाओं से तो प्रकाश तरंगमय प्रतीत होता है और कुछ से कणिकामय। संभवत: सत्य द्वैतमय है। रूपए के दोनों पृष्ठों की तरह, प्रकाश के भी दो विभिन्न रूप हैं। किंतु हैं दोनों ही सत्य। ऐसा ही द्वैत द्रव्य के संबंध में भी पाया गया है। वह भी कभी तरंगमय दिखाई देता है और कभी कणिकामय। न तो प्रकाश के ओर न द्रव्य के दोनों रूप एक ही समय में एक ही साथ दिखाई दे सकते हैं। वे परस्पर विरोधी, किंतु पूरक रूप हैं।
ढग हे आकाशात का तरंगतात
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