Hindi, asked by devanshimansal, 1 year ago

Dharm ekta ka madhyam hai in Hindi

Answers

Answered by richa141
288
धर्म का उद्देश्य समाज में नैतिकता को बनाये रखना है। सभी धर्म एक ही बात सिखाते हैं। वे मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देते हैं। वे आपस में भाईचारा रखने के लिए कहते हैं। उनसे हमें प्रेम, दया, अहिंसा, सत्य, आदि की शिक्षा मिलती है। वे विशाल भावनाओं और सबको एक परिवार का सदस्य मानने के लिए प्रेरित करते हैं।  सभी धर्म शांति से रहने के लिए कहते हैं। वास्तव में सब धर्म एक ही लक्ष्य तक पहुँचने के भिन्न रास्ते हैं।

      सभी धर्म पूजा करने से पहले शरीर, मन और पूजा के स्थान को शुद्ध करने की बात पर जोर देते हैं। शुद्धता देवभक्ति का अंग है। इसलिए भगवान के करीब जाने के लिए सफाई सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। एक स्वच्छ शरीर में स्वच्छ मन होता है। सफाई से रहने वाले व्यक्ति के मन में अच्छे और सार्थक विचार उत्पन्न होते हैं। उसकी सोच सकारात्मक होती है। शुद्धता और निर्मलता धार्मिकता के लिए आवश्यक हैं। इसलिए स्वच्छता को देवभक्ति का पहला पग माना जाता है।

      भारत ने दुनिया में सांप्रदायिक सद्भाव का आदर्श स्थापित करा है। भारत में अनेक धर्म और मत हैं। वे सब लम्बे समय से शांतिपूर्वक देश में प्रगति कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि अंग्रेजी राज्य के समय भी धर्मों के बीच मतभेद नहीं था। स्वतंत्रता के बाद संकीर्ण धार्मिक और सांप्रदायिक विचार उत्पन्न हुए। जिसके कारण भारत और पाकिस्तान दो अलग देशों की रचना करी गयी। राष्ट्रीय नेताओं ने भारत को धर्म निरपेक्ष बनाने का पूरा प्रयत्न करा।   

      अनेकता में एकता भारत की विशेषता है। अनेक धर्म, अनेक भाषायें, अनेक जातियाँ होते हुए भी भारत एक है। सांप्रदायिक सद्भाव के कारण भारत की अखंडता बनी हुई है।

      समय समय पर धर्म और संप्रदाय के नाम पर होने वाले झगड़े लोगों के मन में अविश्वास उत्पन्न करते हैं। इसके कारण जीवन और संपत्ति की हानि होती है और देश को बहुत क्षति पहुँचती है। देश के विकास पर प्रभाव पड़ता है। समाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और वैज्ञानिक उन्नति के लिए सांप्रदायिक सद्भावना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए देश की शांति भंग करने वाले ऐसे हानिकर कट्टरवाद विचारों का निर्मूलन करना चाहिए।   
Answered by nirekjain
2

Answer:

300 word answer

Explanation:

धर्म आपसी सद्भाव एवं एकता का प्रतीक है क्योंकि किसी धर्म विशेष को मानने वाले लोग एक ही प्रकार की जीवन पद्धति का पालन करते हैं। धर्म या मजहब अपने अनुयायिओं को एकता के सूत्र में पिरोकर रखने का कार्य भी करता है। अनेकता में एकता का सर्वोत्तम उदाहरण पेश करते हुए भारत के प्रसिद्ध कवी महम्मद इकबाल की १९०४ में लिखी गई पंक्तियां “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना” अर्थात् दुनिया का हर धर्म आपस में एकता का पाठ पढ़ाते हैं, आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।

जब-जब किसी भी विदेशी आक्रांता ने भारत पर आक्रमण किया है उसने धर्म के बजाए समाज मे साम्प्रदायिक की भावनाओं को पनपाकर राष्ट्रीय एकता को खंडित करने का प्रयास किया है। धार्मिक एकता को विखंडित करने के बाद ही वे भारत पर कब्जा करने में कामयाब हो पाए। अंग्रेजों ने भी यही किया और 200 वर्षों तक भारत पर शासन किया। हम निश्चित रूप से इतने वर्षों की गुलामी से बच जाते अगर हमने साम्प्रदायिकता की भावनाओं पर अंकुश लगाते हुए, सर्वधर्म समभाव एवं धर्म की मूल भावना को सही अर्थों में समझा और अपनाया होता।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार धर्म लोगों को संगठित करने का कार्य करता है और भाईचारे की भावना के साथ समाज को समग्र विकास के पथ पर अग्रसर करता है। सामाजिक एकता को बढ़ाना विश्व के सभी धर्मों की स्थापना का मूल उद्देश्य है। महात्मा बुद्ध ने भी धम्मं शरणं गच्छामि, संघम शरणं गच्छामि का संदेश दिया। अर्थात् उन्होंने धर्म के शरण में और इस प्रकार संघ के शरण में अर्थात संगठित होने का आह्वान किया जो कि आपसी एकता एवं भाईचारे का परिचायक है।

धर्म का उद्देश्य अपने अनुयायियों को जीवन जीने के लिए जरूरी सभी गुणों से परिपूर्ण करते हुए एक ऐसा आधार प्रदान करना है जिससे वे एकता की भावना से संगठित होकर समाज की भलाई के लिए कार्य कर सकें। इन संदेशों का सार यह है कि हर मजहब या धर्म एकता का ही पाठ पढ़ाते हैं।

Similar questions