dharti ka astitva kabir se he
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लेकिन कब? आपको भले यकीन ना हो, लेकिन जीवाश्मों के अध्ययन के मुताबिक पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को करीब 3.5 अरब साल हो चुके हैं. इतने समय में पृथ्वी ने कई तरह की आपदाएँ झेली हैं - जम जाना या अंतरिक्ष की चट्टानों का टकराना, प्राणियों में बड़े पैमाने पर ज़हर का फैलना, जला कर सब कुछ राख कर देने वाली रेडिएशन
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पूरी दुनिया में समय पूर्व होने वाली एक चौथाई मौतों के लिए प्रदूषण से पर्यावरण को होने वाला नुकसान जिम्मेदार है। खाद्य पदार्थ, पानी और हवा इस कदर दूषित हो रहे है कि आने वाली पीढ़ी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। यह बात हाल ही में आई एक रिपोर्ट से सामने आई है। 70 देशों के 250 वैज्ञानिकों द्वारा 6 साल में तैयार की गई एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन और कार्बन डाइआॅक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों के पढ़ने से पूरी धरती का अस्तित्व खतरे में है। अकेले वायु प्रदूषण से फैली जहरीली गैसे दुनिया भर में करोड़ों लोगों को मौत की नींद सुला रही हैं। इस रिपोर्ट में पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कोई रूपरेखा तैयार नहीं होने पर भी चिंता जाहिर की गई है। इसके साथ ही एक ओर चिंताजनक रिपोर्ट है, वह रिपोर्ट विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने जारी की। इस रिपोर्ट ने भी पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्तर्गत जलवायु से सम्बन्धित 191 देशों की सदस्यों वाली आधिकारिक संस्था विश्व मौसम विज्ञान संगठन(डब्ल्यूएमओ) ने ग्रीन हाउस गैसों को लेकर ‘ग्रीन हाउस गैस बुलेटिन’ नाम से वार्षिक रिपोर्ट जारी की, जो वर्ष 2018 की प्रतिबद्धताओं पर आधारित है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस समय धरती के वायुमंडल में कार्बन डाइआॅक्साइड, मीथेन और नाइट्रस आॅक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इस रपट में विश्व के विभिन्न देशों के द्वारा ग्रीन हाउस गैसों को लेकर उठाए गए कदमों, आवश्यताओं, कमजोरियों और आंकड़ों को सम्मिलित किया गया है।