Dharti ka rakhak ke upar kavita
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धरती के...
Rekha Rana
Inspirational
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धरती के रक्षक
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Hindi Poem : #8455
Hindi Poem Inspirational : #2397
इस धरा को बचाना है,
इसका असली रूप वापस दिलाना है।
नीली-नीली नदियों का स्वच्छ निर्मल पानी,
सजी हुई थी हरियाली से ये ग्रहों की रानी।
आज इसाँ ने इसका क्या स्वरूप कर डाला,
कैसी- कैसी कालिख से इसको काला कर डाला।
पल-पल बढ़ता ताप बढ़ा रहा है गर्मी,
निश-दिन आती आपदाओं से रहती सहमी-सहमी।
कर के पौधारोपण इसको पेड़ों से सजायेंगे,
जो सोखेंगे कार्बन सारी
और चौतरफा ऑक्सीजन फैलायेंगे।
बादलों को देंगे न्यौता बरखा खूब बरसेगी,
रिमझिम फुहारों की छुअन से धरती की रूह हर्षेगी।
यहाँ रहने वाली हर जिंदगी खुशियों से चहकेगी,
दम तोड़ती ये धरती फिर जीवन संचरण से लहकेगी।
इसके रक्षण का दायित्व अपने हाथों में लेना होगा
हम ही बनेंगे इसके रक्षक ये संकल्प लेना होगा।
Explanation:
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