Dhawni ki atmakatha _ iss sirshak par apne sabdo mein anuched likhen
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मैं ध्वनि सब के मुंह से निकलता हूं। मेरे बिना कोई अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाता। मैं बनता हूं शब्दों, वाक्यों और वर्णो से। प्रकृति की सुंदरता एवं मन के भावों को बताने के लिए मुझसे अच्छा साधन कोई नहीं। मेरे बिना मधुर संगीत का जन्म ही नहीं हो पाता। मुझ में इतनी शक्ति है कि मैं इंसानों के विचारों में बदलाव भी ला सकता हूं।
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